Nirala Aur Muktibodh : Chaar Lambi Kavitayen

Edition: 2024, Ed. 8th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Nirala Aur Muktibodh : Chaar Lambi Kavitayen
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हिन्दी में लम्बी कविता का इतिहास नया नहीं है, भले उसे पारिभाषिक अभिधा मुक्तिबोध की लम्बी कविताओं से प्राप्त हुई हो। पुराने कवियों को छोड़ दें, तो लम्बी कविता द्विवेदी-युग के कवियों से लेकर समवर्ती युग के कवियों तक ने लिखी है। हिन्दी के महत्त्वपूर्ण युवा आलोचक नंदकिशोर नवल ने अध्ययन के लिए चार लम्बी कविताएँ चुनी हैं। उनमें से दो निरालाकृत हैं और दो मुक्तिबोधकृत। कहने की आवश्यकता नहीं कि ये चारों कविताएँ हिन्दी की चर्चित और विवादास्पद ही नहीं, महान कविताएँ भी हैं, जिनके सोपानों पर चरण रखते हुए हिन्दी कविता ने ऊँचाई प्राप्त की है।

लम्बी कविता का सम्बन्ध निश्चय ही केवल आकार से न होकर प्रकार से भी है। इसे संयोग ही कहेंगे कि लेखक द्वारा चुनी गई चारों कविताएँ चार तरह की हैं। ‘सरोज-स्मृति’ के चित्रों को यदि स्मृति का सूत्र गुम्फित करता है, तो 'राम की शक्ति-पूजा' कथा के सहारे आगे बढ़ती है। ‘ब्रह्मराक्षस’ और ‘अँधेरे में’ दोनों ही फ़ैंटास्टिक कविताएँ हैं, लेकिन एक की फ़ैंटेसी जहाँ एक अखंड रूपक के रूप में है, वहीं दूसरे की फ़ैंटेसी एक पूरी चित्रशाला है। नवल ने बड़ी सूक्ष्मता से चारों लम्बी कविताओं के शिल्पगत वैशिष्ट्य को उद्‌घाटित करते हुए उनकी उस अन्तर्वस्तु पर प्रकाश डाला है, जो कि उससे अभिन्न है।

समकालीन हिन्दी आलोचना में रचना से साक्षात्कार की बहुत बात की जाती है, लेकिन उसका सामना होने पर प्राय: आलोचक बग़ल से निकल जाते हैं। नवल ने रचना के अन्तर्लोक में प्रवेश करते हुए उसके उस बृहत्तर सन्दर्भ को हमेशा याद रखा है, जिसमें ही कोई रचना अपनी सार्थकता अथवा प्रासंगिकता प्राप्त करती है। ‘निराला और मुक्तिबोध : चार लम्बी कविताएँ’ नामक उनकी यह आलोचना-पुस्तक हिन्दी कविता के मर्मग्राहियों के लिए निश्चय ही उपयोगी बनी रहेगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1993
Edition Year 2024, Ed. 8th
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Nandkishore Naval

Author: Nandkishore Naval

नंदकिशोर नवल

जन्म : 2 सितंबर,  1937 ( चाँदपुरा, वैशाली, बिहार)।

शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी. (निराला का काव्य-विकास)।

पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्राध्यापक रहे।

प्रमुख मौलिक कृतियाँ : हिंदी आलोचना का विकास, मुक्तिबोध : ज्ञान और संवेदना, निराला : कृति से साक्षात्कार, मैथिलीशरण, तुलसीदास, सूरदास, रीतिकाव्य, दिनकर : अर्धनारीश्वर कवि, समकालीन काव्य-यात्रा, मुक्तिबोध की कविताएँ : बिंब-प्रतिबिंब, पुनर्मूल्यांकन, शताब्दी की कविता, निराला-काव्य की छवियाँ, कविता के आर-पार, कविता : पहचान का संकट, निकष, रचनालोक, आधुनिक हिंदी कविता का इतिहास, हिंदी कविता : अभी, बिल्कुल अभी।

प्रमुख संपादित  कृतियाँ : निराला रचनावली 

(आठ खंड), दिनकर रचनावली (आरंभिक पाँच काव्य-खंड), मैथिलीशरण संचयिता, नामवर संचयिता, स्वतंत्रता पुकारती, मुक्तिबोध : कवि-छवि, निराला : कवि-छवि, हिंदी साहित्य-शास्त्र, छायांतर, संधि-वेला, अंत-अनंत, कामायनी-परिशीलन, खुल गया है द्वार एक, हिंदी की कालजयी कहानियाँ, बीसवीं शती : कालजयी साहित्य, पदचिन्ह। 

मुख्य संपादित पत्रिकाएँ : सिर्फ, धरातल, उत्तरशती, आलोचना (सह-संपादक के रूप में),  कसौटी।

निधन : 12 मई, 2020

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