Moortein : Mati Aur Sone Ki

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Moortein : Mati Aur Sone Ki
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नवल जी कहते रहे हैं कि संस्मरण एक थकी हुई विधा है, यद्यपि वे युवा-काल में भी स्फुट संस्मरण लिखते रहे हैं। उदाहरण के लिए नागार्जुन पर लिखे गए उनके संस्मरण ‘लौट आ ओ फूल की पंखड़ी’ को देखा जा सकता है। अब जाकर उन्होंने उसका उत्तरार्ध इस पुस्तक में लिखा है।

इस पुस्तक की भूमिका में उन्होंने संस्मरण लिखने की कठिनाइयों की ओर संकेत भी किया है। यह वस्तुतः साहित्य की सबसे नाजुक विधा है, जिसकी रचना में यह ख़तरा बराबर बना रहता है कि कहीं ऐसा न हो कि ‘लिखत सुधाकर गा लिखि राहू’। संस्मरण के चरित्रों की स्मृतियाँ भले क्रमबद्ध रूप में सामने न आएँ, पर उनमें संजीदगी के साथ एक खुलापन तो होना ही चाहिए। दूसरे, कमल पूर्णतः प्रस्फुटित हो, पर उसकी पंखुरियों पर जल का दाग न लगे। वस्तुतः संस्मरण लिखना ‘तलवार की धार पर धावनो है’। पाठक देखेंगे कि नवल जी सत्य का अलाप न करते हुए भी इसमें सफल हुए हैं।

संस्मरणों की इस पुस्तक के दो खंड हैं। पहले खंड में घर और गाँव के पाँच चरित्र हैं। ये सारे चरित्र अपने वैशिष्ट्य से युक्त हैं, जिन्हें लेखक ने विलक्षण कुशलता से चित्रित किया है। उनके चित्रण में यथास्थान बज्जिका के शब्दों के प्रयोग से माटी की ख़ुशबू उठती है और चतुर्दिक् फैल जाती है। दूसरे खंड में हिन्दी के पाँच महत्त्वपूर्ण लेखकों को विषय बनाया गया है। कितना अन्तर है इन दोनों प्रकार के संस्मरणों में! जैसे धरती के ऊपर आकाश का नक्षत्रों से जड़ित नीला तनोवा तना हो। इस पुस्तक की एक अतिरिक्त ख़ूबी यह है कि इससे आप जितना लेखक के विषय में जानेंगे, उतना ही विषय को भी, पर बिना किसी आत्मप्रक्षेपण के। अब आप पुस्तक को उठाएँ और उसकी माटी और सोने की धूलों से स्नात हो जाएँ।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Nandkishore Naval

Author: Nandkishore Naval

नंदकिशोर नवल

जन्म : 2 सितंबर,  1937 ( चाँदपुरा, वैशाली, बिहार)।

शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी. (निराला का काव्य-विकास)।

पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्राध्यापक रहे।

प्रमुख मौलिक कृतियाँ : हिंदी आलोचना का विकास, मुक्तिबोध : ज्ञान और संवेदना, निराला : कृति से साक्षात्कार, मैथिलीशरण, तुलसीदास, सूरदास, रीतिकाव्य, दिनकर : अर्धनारीश्वर कवि, समकालीन काव्य-यात्रा, मुक्तिबोध की कविताएँ : बिंब-प्रतिबिंब, पुनर्मूल्यांकन, शताब्दी की कविता, निराला-काव्य की छवियाँ, कविता के आर-पार, कविता : पहचान का संकट, निकष, रचनालोक, आधुनिक हिंदी कविता का इतिहास, हिंदी कविता : अभी, बिल्कुल अभी।

प्रमुख संपादित  कृतियाँ : निराला रचनावली 

(आठ खंड), दिनकर रचनावली (आरंभिक पाँच काव्य-खंड), मैथिलीशरण संचयिता, नामवर संचयिता, स्वतंत्रता पुकारती, मुक्तिबोध : कवि-छवि, निराला : कवि-छवि, हिंदी साहित्य-शास्त्र, छायांतर, संधि-वेला, अंत-अनंत, कामायनी-परिशीलन, खुल गया है द्वार एक, हिंदी की कालजयी कहानियाँ, बीसवीं शती : कालजयी साहित्य, पदचिन्ह। 

मुख्य संपादित पत्रिकाएँ : सिर्फ, धरातल, उत्तरशती, आलोचना (सह-संपादक के रूप में),  कसौटी।

निधन : 12 मई, 2020

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