Kavi Nirala

Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Kavi Nirala
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‘कवि निराला’ पुस्तक हिन्दी आलोचना में आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी भी एक बहुमूल्य देन हैं। आचार्य वाजपेयी ने निराला को ‘शताब्दी का कवि’ और उनके काव्य को ‘शताब्दी काव्य’ कहा था। उन्होंने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से निराला के उस महाकवि को खोज लिया था जो गत, आगत और अनागत सभी को एकाकार कर लेता है। टी.एस. इलियट ने भी महान कवि के परिचय में यही कहा था कि महान कवि वह होता है जो आत्मसात् कर, वर्तमान सन्दर्भों में जीता हुआ भावी की पदचाप भी सुन लेता है। आधुनिक हिन्दी कविता का उद्गम भारतेन्दु-द्विवेदी युग से प्रारम्भ होकर छायावाद युग में पहुँचकर नई करवट लेता है और इस युग की कवि चतुष्टयी प्रसाद, निराला, पन्त और महादेवी के चार स्तम्भों पर उस काव्य को गढ़ता है जिसको सांस्कृतिक प्रौढ़ता आगामी कवियों के लिए न केवल आधार बनती है बल्कि उनके अनुकरण और विकास में स्वयं को धन्य मानती है।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 166p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Nandulare Vajpeyi

Author: Nandulare Vajpeyi

नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी का जन्म 4 सितम्बर, 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्‍नाव जिले के मगरायर में हुआ था।  उन्होंने काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय से 1929 में हिन्दी में एम.ए. की उपाधि सर्वोच्‍च अंकों के साथ प्राप्‍त की। 1930 में वे अर्द्ध-साप्‍ताहिक भारत के सम्पादक होकर प्रयाग आए, जहाँ 1932 तक कार्यरत थे। व्यवस्‍थापकों के साथ सैद्धान्तिक मतभेदों के कारण वे भारत से अधिक समय तक जुड़े नहीं रहे। पुनः काशी आ गए और काशी नागरी प्रचारिणी सभा में सूरसागर का सम्पादन करने लगे। इसके बाद गोरखपुर में रहकर रामचरितमानस का सम्पादन भी उन्होंने किया। 1941 में वे काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय में अध्‍यापक पद पर नियुक्‍त हुए। 1947 में सागर विश्‍वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्‍यक्ष बने। 1965 तक इसी पद पर कार्यरत रहते हुए वे विक्रम विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन में कुलपति पद पर नियुक्‍त हुए। वे कुछ समय तक हिन्दी की प्रति‌‌ष्ठित पत्रिका आलोचना के सम्पादक भी रहे।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—जयशंकर प्रसाद, हिन्दी 
साहित्य : बीसवीं शताब्दी, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, महाकवि सूरदास, प्रेमचन्‍द : एक साहित्यिक विवेचन, नया साहित्य : नए प्रश्‍न, नयी कविता, आधुनिक काव्य : रचना और विचार, कवि सुमित्रानन्दन पन्त, हिन्दी साहित्य का आधुनिक युग आदि ।
21 अगस्‍त, 1967 को उनका निधन हुआ।

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