Mahakavi Soordas

Edition: 2023, Ed. 5th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Mahakavi Soordas
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भक्तिकाल के इस अप्रतिम कवि के जीवन और साहित्य पर जितना कुछ उल्लेखनीय अध्ययन अब तक हुआ है, उसमें आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की यह पुस्तक विशिष्ट स्थान रखती है। उपलब्ध स्रोत-सामग्री का तुलनात्मक अध्ययन करके आचार्य वाजपेयी ने महाकवि के जीवन-तथ्यों की प्रामाणिक जानकारी इस पुस्तक में दी है, और साथ ही उनके कृतित्व और भक्ति के सिद्धान्त-पक्ष का विवेचन भी किया है। आकार में लघु होते हुए भी सूर-साहित्य का इतना समग्र अनुशीलन इस पुस्तक में है कि निस्संकोच भाव से इसे 'गागर में सागर' की संज्ञा दी जा सकती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1976
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 151p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18.5 X 12.5 X 1.5
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Nandulare Vajpeyi

Author: Nandulare Vajpeyi

नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी का जन्म 4 सितम्बर, 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्‍नाव जिले के मगरायर में हुआ था।  उन्होंने काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय से 1929 में हिन्दी में एम.ए. की उपाधि सर्वोच्‍च अंकों के साथ प्राप्‍त की। 1930 में वे अर्द्ध-साप्‍ताहिक भारत के सम्पादक होकर प्रयाग आए, जहाँ 1932 तक कार्यरत थे। व्यवस्‍थापकों के साथ सैद्धान्तिक मतभेदों के कारण वे भारत से अधिक समय तक जुड़े नहीं रहे। पुनः काशी आ गए और काशी नागरी प्रचारिणी सभा में सूरसागर का सम्पादन करने लगे। इसके बाद गोरखपुर में रहकर रामचरितमानस का सम्पादन भी उन्होंने किया। 1941 में वे काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय में अध्‍यापक पद पर नियुक्‍त हुए। 1947 में सागर विश्‍वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्‍यक्ष बने। 1965 तक इसी पद पर कार्यरत रहते हुए वे विक्रम विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन में कुलपति पद पर नियुक्‍त हुए। वे कुछ समय तक हिन्दी की प्रति‌‌ष्ठित पत्रिका आलोचना के सम्पादक भी रहे।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—जयशंकर प्रसाद, हिन्दी 
साहित्य : बीसवीं शताब्दी, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, महाकवि सूरदास, प्रेमचन्‍द : एक साहित्यिक विवेचन, नया साहित्य : नए प्रश्‍न, नयी कविता, आधुनिक काव्य : रचना और विचार, कवि सुमित्रानन्दन पन्त, हिन्दी साहित्य का आधुनिक युग आदि ।
21 अगस्‍त, 1967 को उनका निधन हुआ।

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