Premchand : Ek Sahityik Vivechan

Literary Criticism
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Premchand : Ek Sahityik Vivechan

महान कथाकार प्रेमचन्द के सम्पूर्ण कथा–साहित्य को उसकी सभी विशेषताओं और विफलताओं के साथ विश्लेषित करने का प्रयास यहाँ लेखक ने किया है। आरम्भ में प्रेमचन्द को हिन्दी कथा–साहित्य की परम्परा में स्थापित करते हुए परवर्ती अध्यायों में उनके सात प्रमुख उपन्यासों का अलग–अलग मूल्यांकन किया गया है। दो परिशिष्टों में प्रेमचन्द सम्बन्धी आचार्य वाजपेयी के फुटकर मन्तव्यों को समेकित किया गया है। साथ ही ‘हंस’ के आत्मकथा विशेषांक से उत्पन्न हुए विवादों से सम्बन्धित पत्र–व्यवहार भी उद्धृत किए गए हैं। पुस्तक के आरम्भ में डॉ. शिवकुमार मिश्र द्वारा प्रेमचन्द सम्बन्धी आचार्य वाजपेयी की मान्यताओं का ऐतिहासिक तथा समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है, जो पुस्तक के इस नए संस्करण को विशेष महत्त्वपूर्ण बनाता है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2018, Ed. 5th
Pages 140p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Editorial Review

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Nandulare Vajpeyi

Author: Nandulare Vajpeyi

आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी

 

जन्म : 14 सितम्बर, 1906; उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार, सम्पादक, आलोचक और अन्त में प्रशासक भी रहे। छायावादी कविता के शीर्षस्थ आलोचक के रूप में प्रसिद्ध।

प्रारम्भिक शिक्षा हजारीबाग में सम्पन्न हुई। आगे की पढ़ाई काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पूरी की। कुछ समय ‘भारतֺ’ के सम्पादक रहे। इसके बाद उन्होंने काशी नागरीप्रचारिणी सभा में ‘सूरसागरֹ’ तथा बाद में गीता प्रेस, गोरखपुर में ‘रामचरितमानस’ का सम्पादन किया।

वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक रहे तथा सागर विश्वविद्यालय, उज्जैन के उपकुलपति नियुक्त हुए।

प्रमुख कृतियाँ : ‘हिन्दी साहित्य : बीसवीं शताब्दी’, ‘जयशंकर प्रसाद’, ‘प्रेमचन्द : साहित्यिक विवेचन’, ‘आधुनिक साहित्य’, ‘नया साहित्य : नए प्रश्न’, ‘जयशंकर प्रसाद’, ‘महाकवि सूरदास’, ‘कवि निराला’ एवं ‘सुमित्रानन्दन पन्त’।

निधन : 21 अगस्त, 1967; उज्जैन।

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