Hindi Sahitya Beesvin Shatabdi

Edition: 2019, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹425.00 Regular Price ₹500.00
15% Off
In stock
SKU
Hindi Sahitya Beesvin Shatabdi
- +
Share:

यह पुस्तक निबन्धों का संग्रह है। प्रस्तुत पुस्तक में प्रारम्भिक चालीस वर्षों के ही कुछ प्रमुख साहित्यिक व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है। यद्यपि इस समय के सभी प्रमुख साहित्यकार पुस्तक में नहीं आ सके हैं, परन्तु जितने आए हैं, उतने ही इस काल के साहित्य के स्वरूप, उसकी समृद्धि-सीमा और उसकी विकास-दिशा को दिखा देने के लिए पर्याप्त है।

बीसवीं शताब्दी के साहित्य की जिस सामान्य रूपरेखा का उल्लेख किया गया, उससे इस साहित्य का विस्तार और इसकी अनेकरूपता तो प्रकट हुई ही, उसके आलोचन-कार्य को पेचीदगी का भी कुछ-न-कुछ आभास मिला। इन निबन्धों में इस युग के साहित्य की समीक्षा का प्राथमिक प्रयास किया गया है। इसके पहले इस विषय की कोई व्यवस्थित सामग्री उपलब्ध न थी।

ये निबन्ध किसी नियमित क्रम या शैली पर नहीं लिखे गए हैं। लेखकों की सम्पूर्ण रचनाओं को सब समय सामने नहीं रखा गया है। कहीं-कहीं तो किसी एक ही रचना पर पूरा निबन्ध आधारित है (यद्यपि ऐसे निबन्धों में लेखक की अन्य रचनाएँ भी अप्रत्यक्ष रूप से ध्यान में रही हैं) किसी निबन्ध में किसी लेखक पर प्रशंसात्मक चर्चा की गई है और किसी अन्य पर विरोधी ढंग से लिखा गया है। जिनकी आवश्यकता से अधिक प्रशंसा हो रही थी, उनके सम्बन्ध में दूसरे पक्ष को सामने रखा गया है। इसमें लक्ष्य लेखकों की स्थिति में सामंजस्य स्थापित करने का रहा है। किन्तु प्रशंसा या अप्रशंसा द्वारा भी रचयिता के व्यक्तित्व को सीमित और साकार करने की चेष्टा ही मुख्य रही है। इस प्रकार अनुकूल या प्रतिकूल विवेचन से लेखकों की वास्तविक रचना-क्षमता ही स्पष्ट हुई है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2019, Ed. 2nd
Pages 202p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Hindi Sahitya Beesvin Shatabdi
Your Rating
Nandulare Vajpeyi

Author: Nandulare Vajpeyi

नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी का जन्म 4 सितम्बर, 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्‍नाव जिले के मगरायर में हुआ था।  उन्होंने काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय से 1929 में हिन्दी में एम.ए. की उपाधि सर्वोच्‍च अंकों के साथ प्राप्‍त की। 1930 में वे अर्द्ध-साप्‍ताहिक भारत के सम्पादक होकर प्रयाग आए, जहाँ 1932 तक कार्यरत थे। व्यवस्‍थापकों के साथ सैद्धान्तिक मतभेदों के कारण वे भारत से अधिक समय तक जुड़े नहीं रहे। पुनः काशी आ गए और काशी नागरी प्रचारिणी सभा में सूरसागर का सम्पादन करने लगे। इसके बाद गोरखपुर में रहकर रामचरितमानस का सम्पादन भी उन्होंने किया। 1941 में वे काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय में अध्‍यापक पद पर नियुक्‍त हुए। 1947 में सागर विश्‍वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्‍यक्ष बने। 1965 तक इसी पद पर कार्यरत रहते हुए वे विक्रम विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन में कुलपति पद पर नियुक्‍त हुए। वे कुछ समय तक हिन्दी की प्रति‌‌ष्ठित पत्रिका आलोचना के सम्पादक भी रहे।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—जयशंकर प्रसाद, हिन्दी 
साहित्य : बीसवीं शताब्दी, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, महाकवि सूरदास, प्रेमचन्‍द : एक साहित्यिक विवेचन, नया साहित्य : नए प्रश्‍न, नयी कविता, आधुनिक काव्य : रचना और विचार, कवि सुमित्रानन्दन पन्त, हिन्दी साहित्य का आधुनिक युग आदि ।
21 अगस्‍त, 1967 को उनका निधन हुआ।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top