हृषीकेश सुलभ के कथा संकलन ‘हलंत’ की कहानियाँ हिन्दी की यथार्थवादी कथा-परम्परा का विकास प्रस्तुत करती हैं। इन कहानियों में भारतीय समाज की परम्परा, जीवनदृष्टि, समसामयिक यथार्थ और चिन्ताओं की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विकृतियों और विसंगतियों का भी चित्रण है। मनुष्य की सत्ता और प्रवृत्ति की भीतरी दुर्गम राहों से गुज़रते हुए भविष्य के पूर्वाभासों और संकेतों को रेखांकित करने की कलात्मक कोशिश इन कहानियों की अलग पहचान बनती है। यथार्थ के अन्त:स्तरों के बीच से ढेरों ऐसे प्रसंग स्वत:स्फूर्ति उगते चलते हैं, जो हमारे जीवन की मार्मिकता को विस्तार देते हैं। संचित अतीत की ध्वनियाँ यहाँ संवेदन का विस्तार करती हैं और इसी अतीत की समयबद्धता लाँघकर यथार्थ जीवन की विराटता को रचता है।
हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ भाषा और शिल्प के स्तर पर नए भावबोधों के सम्प्रेषण की नई प्रविधि विकसित करती हैं। नई अर्थछवियों को उकेरने के क्रम में इन कहानियों का शिल्प पाठकों को कहीं आलाप की गहराई में उतारता है, तो कहीं लोकलय की मार्मिकता से सहज ही जोड़ देता है। जीवन के स्पन्दन को कथा-प्रसंगों में ढालती और जीवन की संवेदना को विस्तृत करती ये कहानियाँ पाठकों से आत्मीय और सघन रिश्ता बनाती हैं।
हृषीकेश सुलभ के कथा-संसार में एकान्त के साथ-साथ भीड़ की हलचल भी है। सपनों की कोमल छवियों के साथ चिलचिलाती धूप का सफ़र है। पसीजती हथेलियों की थरथराहट है, तो विश्वास से लहराते हाथों की भव्यता भी है। भावनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से अपना आत्यन्तिक अर्थ अर्जित करती इन कहानियों में क्रूरता और प्रपंच के बीच भी जीवन का बिरवा उग आता है, जो मनुष्य की संवेदना के उत्कर्ष और जिजीविषा की उत्कटता को रेखांकित करता है।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back |
Publication Year | 2015 |
Edition Year | 2015, Ed. 1st |
Pages | 107p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1 |