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Revri Ya Haq : Samajik Suraksha Par Ek Nazaria

Author: Reetika Khera
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Revri Ya Haq : Samajik Suraksha Par Ek Nazaria

इज़्ज़त से जीना रेवड़ी नहीं, हक़ है। इस सहज पुस्तक को पढ़कर न केवल आपकी समझ बढ़ेगी, आपका दिल भी बढ़ेगा।

—ज्याँ द्रेज़

 

पिछले बीस सालों में रीतिका खेरा और उनकी टीम ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक नीतियों के ज़मीनी हालात पर कई प्राथमिक सर्वेक्षण किये हैं, इस पुस्तक का आधार वही सर्वेक्षण हैं। सामाजिक नीतियों का दायरा तय करना आसान नहीं है, लेकिन इनके दायरे में स्कूली शिक्षा, सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएँ, आँगनवाड़ियाँ, स्कूलों में मध्याह्न भोजन, राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (नरेगा), जन-वितरण प्रणाली, वृद्धावस्था, विधवा और विकलांगता पेंशन एवं मातृत्व लाभ ज़रूर आते हैं। इस किताब में जन्म से मृत्यु तक हमारे सहारे के लिए बनी इन सामाजिक नीतियों का आकलन किया गया है। चर्चा के मुख्य बिन्दुओं में इन योजनाओं का क्रियान्वयन, उसमें रह गईं त्रुटियाँ, उपलब्धियाँ और राज्यों के बीच इनके स्वरूप में जो अन्तर देखने को मिले, उन पर चर्चा की गई है।

इस किताब का मक़सद है कि पाठक भारत की सामाजिक नीतियों से परिचित हों, वे इस ढाँचे को पहचानें और उसके पीछे के तर्क को समझें। उनके सामने यह बात स्पष्ट हो कि वे क्या नैतिक और आर्थिक सिद्धान्त हैं जिनके आधार पर न केवल भारत में, बल्कि दुनिया-भर में सरकारें इस तरह के हस्तक्षेप करती हैं? और हमें क्यों इन सामाजिक नीतियों को लोगों के हक़ के रूप में देखना चाहिए, न कि ‘माई-बाप सरकार’ की कृपा या ‘रेवड़ी’ के रूप में।

‘रेवड़ी या हक़ ’ पुस्तक को यह रूप देने और अपने निष्कर्षों तक पहुँचने के लिए विविध पृष्ठभूमियों और नज़रियों के लोगों और संस्थाओं से भी संवाद किया गया। शोध के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जीवन-संघर्ष को तो सर्वेक्षणकर्ता ने नज़दीक से देखा ही, नई पीढ़ी के इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के छात्रों से भी बातें हुईं और शहरी मध्यवर्ग से आने वाले मित्र-परिवारों से इन सामाजिक नीतियों को लेकर उनकी सोच क्या है, वह भी जाना। कह सकते हैं कि यह किताब सामाजिक नीतियों पर, इन विभिन्न समूहों और अपने नज़रिये के बीच एक संवाद की कोशिश है। 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 288p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Reetika Khera

Author: Reetika Khera

रीतिका खेरा

रीत‌िका खेरा डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट हैं। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पी-एच.डी. की है। आई.आई.एम., अहमदाबाद में इकोनॉमिक्स और पब्लिक सिस्टम ग्रुप की सहायक प्रोफ़ेसर रही हैं। उन्होंने पिछले बीस वर्षों में ग्रामीण भारत में सामाजिक नीतियों पर शोध किया है। उनके लेख लम्बे समय से अनेक विधाओं में छपते रहे हैं। वे भारत में सरकारी नीतियों को लोगों के बीच बातचीत का हिस्सा बनाने में लगातार कार्यरत हैं।

फ़िलहाल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.), दिल्ली में अर्थशास्त्र की प्रोफ़सर हैं।

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