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Satrupa

Author: Shivendra
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Satrupa

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समकालीन लेखन में शिवेन्द्र की विशिष्ट पहचान ऐसे कहानीकार के रूप में है जो चित्र-विचित्र घटनाओं वाली पुराकथाओं और परीकथाओं के ढब-ढाँचे में ठेठ आधुनिक जीवन के प्रश्नों और संकटों से हमें रू-ब-रू कराता है। पिछले लगभग सवा सौ सालों से हिन्दी कहानी अपनी बात कहने के लिए जिस ‘वेरिसिमिलीट्यूड’ पर, विश्वसनीय अंकन की जिस विधि पर भरोसा करती आई है, उसे तोड़ या छोड़ कर शिवेन्द्र एक वयस्क आधुनिक पाठक को झटका देते हैं; ऐसा लगता है कि वे उसे एकबारगी आधुनिक के मुक़ाबले पुरातन या वयस्क के मुक़ाबले बालसुलभ कथा-आस्वाद की ओर ले जाना चाहते हैं, लेकिन उनके द्वारा सम्बोधित सवाल इस भ्रम की गुंजाइश नहीं रहने देते। उनके यहाँ अपनी जाति बताकर प्यार से वंचित हो जाने वाले और सीवर में ही ज़िन्दगी खपा देने वाले दलित हैं; ‘किसी ऊबे हुए बन्दर की तरह फ़ेसबुक की एक दीवाल से दूसरी दीवाल पर यूँ ही कूदने’ वाले बेरोज़गार हैं; गेम न खेलने पर गोली मार देने वाले कमांडोज़ से डर कर अपने-अपने मोबाइल में घुसे, अपने आसपास की दुनिया से नावाक़िफ़ लोग हैं; आज़ादी प्रतीत होने वाली नई ग़ुलामी है; ऐसे चुनाव हैं जिनमें जनता उन्हीं को चुनती है जिनकी सरकार बनाने का ठेका बड़ी कम्पनियों ने लिया है; ‘बिना कुछ सोचे-समझे ऐसी चीज़ों को पाने में नष्ट होती’ ज़िन्दगियाँ हैं ‘जिनकी असल में कोई ज़रूरत ही नहीं’; और सबसे बड़ी बात, दूसरों की आज़ादी छीनने वालों और आज़ादी चाहने वालों के बीच का संघर्ष है जिसमें एक ओर तानाशाहों से लेकर उनके पक्ष के विचारक, हत्यारे और आज की दुनिया में मसीहा की तरह पूजे जानेवाले धनकुबेर तक हैं, तो दूसरी ओर बेरोज़गार, मज़लूम और अपने को बेचने के लिए तैयार न होने वाले चैतन्य लोग। हमारे इस वर्तमान को शिवेन्द्र जिस कल्पनाशीलता के साथ कहानी में लाना सम्भव करते हैं, वह आपको बार-बार चकित करती है और आप साश्चर्य कहानी के इस आदिम गुण की वापसी के साक्षी बनते हैं। वे निस्सन्देह हमारे समय के सबसे उर्वर रचनात्मक मस्तिष्कों में से एक हैं।

—संजीव कुमार 

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 160p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Shivendra

Author: Shivendra

शिवेन्द्र

शिवेन्द्र का जन्म 6 अप्रैल, 1987 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ। वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी-साहित्य में स्नातक हैं और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व संचार विश्वविद्यालय से जनसंचार में स्नाकोत्तर किया है। अब तक उनकी दो पुस्तकें—‘चॉकलेट फ़्रेंड्स और अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह) और ‘चंचला चोर’ (उपन्यास) प्रकाशित हैं।

उन्हें ‘विजय मोहन सिंह स्मृति पुरस्कार’ और भारतीय भाषा परिषद के ‘युवा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। आजकल मुम्बई में रहते हुए पटकथा लेखन कर रहे हैं।

ई-मेल : writershivendra@gmail.com

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