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Fiza Ke Samandar Mein

Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Fiza Ke Samandar Mein

ग्रामीण जीवन के अनूठे चित्र और मनुष्य के संसार के ऐसे बिम्ब जिन पर सामान्यतः हमारी निगाह कम ही ठहरती है, रामस्वरूप किसान की कविताओं में बहुतायत से मिलते हैं।

म‌िसाल के तौर पर इस संग्रह की पहली ही कविता-शृंखला ‘पीठ’ को लिया जा सकता है जिसमें कुल सोलह कविताएँ शामिल हैं। ‘पीठ एक कारुणिक क्षेत्र’ है जिसे देखकर कवि-मन बार-बार कभी अपने भीतर और कभी बाहर की ओर एक प्रश्नाकुल चिन्तन-यात्रा पर निकल जाता है।

‘फ़िज़ा के समन्दर में’ शीर्षक कविता-शृंखला की ग्यारह कविताएँ पुनः कवि की विशिष्ट दृष्टि का पता देती हैं जिसमें प्रेम के लिए घर से भागती हुई लड़की हमें और हमारे समाज को पुनः पुनः सवालों के घेरे में खड़ा कर देती है—

यह रहा/तुम्हारा दूल्हा/साथ-साथ रहोगे तो/प्यार हो जाएगा/पापा ने कहा।...नहीं, ऐसा कहो पापा/यह रहा तुम्हारा प्यार/सा‌थ-साथ रहोगे/तो दूल्हा हो जाएगा।

संग्रह में शामिल अधिकांश कविताएँ इसी तरह पाठक को सहसा चौंका देती हैं और हमारी देखी जानी चीज़ों को नये ढंग से हमारे सामने ला देती हैं।

आम जन-जीवन के दैनन्दिन दुखों, व्यवस्था-जनित असहायताओं और मनुष्य की आन्तरिक और बाह्य पीड़ाओं के साथ इन कविताओं की राजनैतिक चेतना भी मुखर रूप में सामने आती है—

पब्लिक लड़ती है चुनाव—पैसों से/बातों से/लातों से/भालों-बन्दूक़ों-तलवारों से/ख़ून के फ़व्वारों से/और लड़ा-लड़ाया चुनाव/उनके गले में डाल देती है.../वे चुनाव नहीं लड़ते/वे तो पहनते हैं चुनाव।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 136p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Ramswaroop Kisan

Author: Ramswaroop Kisan

रामस्वरूप किसान

रामस्वरूप किसान का जन्म 14 अगस्त, 1952 को हुआ। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘हिवड़ै उपजी पीड़’, ‘कूक्यो घणो कबीर’, ‘आ बैठ बात करां’, ‘म्हैं अन्नदाता कोनी’ (राजस्थानी कविता-संग्रह); ‘गाँव की गली-गली’, ‘फ़िज़ा के समन्दर’ में (हिन्दी कविता-संग्रह); ‘हाडाखोड़ी’, ‘तीखी धार’, ‘बारीक बात’, ‘उछाळ’ (राजस्थानी कहानी-संग्रह); ‘सपनै रो सपनो’ (राजस्थानी लघुकथा-संग्रह); ‘राती कणेर’ (रवीन्द्रनाथ टैगोर के बांग्ला नाटक ‘रक्त करबी’ का राजस्थानी अनुवाद)।

कविता-संग्रह ‘आ बैठ बात करां’ व कहानी-संग्रह ‘हाडाखोड़ी’ के पंजाबी तथा कहानी-संग्रह ‘बारीक बात का’ साहित्य अकादेमी की ओर से हिन्दी व पंजाबी में अनुवाद प्रकाशित। राजस्थानी तिमाही ‘कथेसर’ का सम्पादन।

कविता-संग्रह ‘आ बैठ बात करां’ राजस्थान विद्यापीठ वि.वि., उदयपुर के पाठ्यक्रम में, कहानी ‘गाय कठै बांधूं’ राजस्थान वि.वि., जयपुर व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान के पाठ्यक्रम में और ‘दलाल’  का अंग्रेजी अनुवाद ‘द ब्रोकर क्राइस्ट यूनि.’, बैंगलोर (कर्नाटक) व महात्मा गांधी यूनि., कोट्टायम (केरल) के पाठ्यक्रम में शामिल।

उन्हें ‘बारीक बात’ के लिए 2019 के ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘राती कणेर’ के लिए 2003 के ‘साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया है। इसके अलावा राजस्थानी भाषा-साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के ‘मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ कथा पुरस्कार’ व ‘रावत सारस्वत साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार’, ‘राजस्थान साहित्य’ अकादमी उदयपुर का ‘विशिष्ट साहित्यकार सम्मान’, ‘कथा पुरस्कार’, ‘गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार’, ‘सृजन सम्मान’, ‘बैजनाथ पंवार कथा पुरस्कार’, ‘सीताराम रूंगटा राजस्थानी साहित्य सम्मान’  से सम्मानित किया गया है। साहित्य अकादेमी की राइटर इन रैजीडैंसी योजना के तहत स्कॉलरशिप प्राप्त।

सम्प्रति : लेखन और खेतीबाड़ी

ई-मेल : aapnibhasha@gmail.com

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