''देखिए मैं आपकी पत्नी ज़रूर हूँ लेकिन मैं एक औरत भी हूँ…जिस दुनिया में आप रहते हैं, वह भी सही है और जिस दुनिया में मैं रह सकती हूँ? वह भी सही है...मेरा शरीर सन्तृप्त होता रहे और मेरा मन मृत होता रहे, यह मुझे आपके साथ बहुत दूर तक नहीं ले जा सकता...मैं जानती हूँ? पंछियों के केमिकल से युक्त भूसा-भरे शरीरों के करोड़ों रुपए के बिजनेस को छोड़ना या बन्द करना आपके लिए मुमकिन नहीं होगा...लेकिन मेरे लिए यह मुमकिन होगा कि मैं मुर्दों की इस दुनिया से बाहर चली जाऊँ।''
(इसी उपन्यास से)
1947 के बाद सामन्ती युग का पतन, पर्यावरण, पक्षियों से प्रेम तथा सहज मानवीय कोमल सम्बन्धों की यह कहानी बरबस ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेगी।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2004 |
Edition Year | 2024, Ed. 5th |
Pages | 147P |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |