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Patte Chinaron Ke

Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Patte Chinaron Ke

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डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ की ग़ज़लों के कथ्य के पीछे विचार होता है और क्राफ़्ट के पीछे है उनका गहरा अभ्यास जो लगातार और गहरा होता गया है। ‘पत्ते चिनारों के’ उनका तीसरा ग़ज़ल-संग्रह है और इसमें संकलित अधिकांश ग़ज़लों में अनेक छवियाँ उन बीते दिनों की हैं जब पूरी दुनिया पर कोरोना के रूप में एक भयावह संकट की छाया मँडरा रही थी।

एक सजग नागरिक और संवेदनशील रचनाकार होने के नाते ‘शलभ’ जी उन हालात पर पैनी निगाह रखते हैं जो हमारे व्यक्तिगत जीवन से लेकर प्रकृति तक को प्रभावित करते हैं। वह चाहे धर्मभीरु अवाम की आस्थाओं का दोहन करने के लिए धर्म और राजनीति की दुरभिसन्धियाँ हों, लगातार बढ़ती सामाजिक-आर्थिक विषमता हो, लोकतांत्रिक मर्यादाओं का सत्ता द्वारा उल्लंघन और अवमूल्यन हो या आम आदमी के उपभोक्ताकारी संजाल में उलझकर व्यक्तित्वहीन हो जाने की दुर्घटना हो, उनकी ग़ज़लें हर इला‌के में होकर आती हैं—

हर किसी पर हो रहा है दोषारोपण

देश अपना कटघरा क्यों हो गया है

उनकी ग़ज़लों की ख़ास विशेषता उनकी ज़बान और सहजता है। सुनते ही याद हो जाने वाले उनके शेर अलग-अलग सन्दर्भों में, जीवन और अहसास के अलग-अलग मौकों पर बरबस याद आ जाने की सलाहियत रखते हैं। हिन्दी ग़ज़ल की परम्परा को और-और समर्थ बनाती हुई उनकी ग़ज़लगोई प्रेम और प्रकृ‌ति को भी साथ लेकर चलती है, उम्मीद का दामन भी नहीं छोड़ती और वक़्त को घायल करने वाली ता​क़तों को बख़्शती भी नहीं। 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 136p
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Dr. Vinod Prakash Gupta 'Shalabh'

Author: Dr. Vinod Prakash Gupta 'Shalabh'

डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ

भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ का जन्म 17 अप्रैल, 1949 को नाहन, ज़िला सिरमौर, हिमाचल प्रदेश में हुआ। आपने अर्थशास्त्र में पी-एच.डी. करने के अलावा क़ानून, गांधी दर्शन, मानवाधिकार और पत्रकारिता में भी डिग्रियाँ और डिप्लोमा अर्जित की हैं।

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘चारों दिशाएँ’ (कविता-संग्रह); ‘आओ नई सहर का नया शम्स रोक लें’, ‘बूँद बूँद ग़ज़ल’ (ग़ज़ल-संग्रह)।

आपने अशोक महापात्रा के अंग्रेज़ी काव्य-संग्रह ‘माई आफ़्टरनून पोयम्ज़’ का हिन्दी में ‘उत्तरार्द्ध’ शीर्षक से अनुवाद भी किया है।

हिन्दी और अंग्रेज़ी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

उल्लेखनीय साहित्य-सृजन के लिए आपको ‘गायत्री शिरोमणि सम्मान’, ‘सोपान साहित्यिक सम्मान’ और ‘अनुबन्ध साहित्य भूषण सम्मान’ समेत कई सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। ‘नारायणी’ साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली और रचनाकार संस्था, कोलकाता सहित कई संस्थाएँ आपको सम्मानित कर चुकी हैं।

आप अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, मलेशिया, सिंगापुर, न्यूज़ीलैंड, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका सहित कई देशों की यात्राएँ कर चुके हैं।

सम्प्रति : आप नवल प्रयास शिमला, साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष; डी.ए.वी. संस्था, दिल्ली की प्रबन्धन समिति के निर्वाचित सदस्य तथा इंस्टिट्यूट ऑफ़ ह्यूमन राइट्स, दिल्ली में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैं।

सम्पर्क : vinjisha55@yahoo.co.in

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