नामवर सिंह आधुनिक हिन्दी के सबसे बड़े संवादी थे। इस पुस्तक में संकलित पत्र उनके संवादी-भाव को समझने की एक नई दृष्टि देते हैं।
‘तुम्हारा नामवर’ के पहले खंड में परिजनों को लिखे पत्र हैं। मझले भाई रामजी सिंह को सम्बोधित पत्र अनेक दृष्टियों से विशिष्ट हैं। इन पत्रों में आधुनिक एवं पारम्परिक जीवन के द्वन्द्वों के दबावों की अनेक झलकें संकेत रूप में मौजूद हैं। सबसे छोटे भाई काशीनाथ सिंह को लिखे पत्र उन स्थितियों और जीवन-प्रसंगों पर रोशनी डालते हैं जिनमें नामवर सिंह का निर्माण हुआ। व्यक्तिगत पत्रों में बेटी समीक्षा को दार्जिलिंग से लिखे गए दस पत्रों का एक अलग ही महत्त्व है। अठहत्तर वर्ष की अवस्था में गहन भावनाओं से भरे हुए ये पत्र ‘चिट्ठी भी हैं और डायरी भी’। इन्हें हिन्दी की हँसमुख और दिलख़ुश गद्य परम्परा में सम्मान के साथ रखा जा सकता है।
दूसरे खंड में साहित्य-सहचरों—केदारनाथ अग्रवाल, मुक्तिबोध, राजेन्द्र यादव, विश्वनाथ त्रिपाठी, रवीन्द्र कालिया, कमला प्रसाद, नंदकिशोर नवल और महेन्द्रनाथ राय—को लिखे गए पत्र संकलित हैं। इन पत्रों में एक पाठक के रूप में नामवर जी अपने समय-साहित्य के विभिन्न मुद्दों पर न सिर्फ़ बातचीत की एक वृहद् ज़मीन तैयार करते दिखते हैं, बल्कि लेखक व सम्पादक के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी भी निभाते नज़र आते हैं। तीसरे खंड में श्रीनारायण पांडेय के नाम लिखे गए पत्रों को व्यक्तिगत-पारिवारिक पत्रों की शृंखला में ही रखा जा सकता है। पांडेय जी 1952-1954 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में नामवर जी के छात्र रहे हैं। ये पत्र काशीनाथ सिंह के नाम पत्रों की ही तरह महत्त्वपूर्ण हैं। नामवर जी के व्यक्तित्व के छिपे हुए रूपों के साथ ही उनके राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक विचारों की गम्भीर झलक इन पत्रों में मौजूद है।
इस पुस्तक से बाहर भी अभी हज़ारों पत्र लोगों के निजी संग्रह में मौजूद होंगे। उन्हें भी प्राप्त होने के बाद अगले संस्करण में शामिल कर लिया जाएगा। बावजूद इसके ‘तुम्हारा नामवर’ में संकलित पत्र हिन्दी आलोचना में ‘दूसरी परम्परा की खोज’ करनेवाले नामवर सिंह के जीवन-अनुभव से निकला वह जीवन-दर्शन हैं जिनके आलोक में केवल अतीत, वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य का भी बहुत कुछ पढ़ा, समझा और रचा जा सकता है।
Language | Hindi |
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Format | Hard Back |
Publication Year | 2019 |
Edition Year | 2019, Ed. 1st |
Pages | 208p |
Translator | Not Selected |
Editor | Ashish Tripathi |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22.3 X 14.2 X 2 |
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