Shabd Purush Agyey

Literary Criticism
As low as ₹120.00 Regular Price ₹150.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Shabd Purush Agyey
- +

आधुनिक हिन्दी साहित्य के लिए यह एक ऐतिहासिक संयोग था कि उसे ‘अज्ञेय’ जैसा विशिष्ट व्यक्ति मिला, जो न केवल अपने निजी लेखन से ही महत्त्वपूर्ण था, बल्कि साहित्य के सभी क्षेत्रों और विषयों पर भी चिन्तातुर था। शायद भारतेन्दु के बाद ऐसी प्रामाणिक साहित्यिक चिन्ता वात्स्यायन में ही दिखलाई देती है। वस्तुत: यह आलेख उनके लेखन और व्यक्ति का आकलन नहीं, बल्कि स्मरण है, और वह भी संस्मरणात्मक आत्मीय भूमि पर से ही किया गया है। साथ ही एक अग्रज समकालीन को जिस सम्यकता से देखा जाना चाहिए, की चेष्टा है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 104p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Shabd Purush Agyey
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Shri Naresh Mehta

Author: Shri Naresh Mehta

श्रीनरेश मेहता

जन्म: 15 फरवरी, 1922 को शाजापुर (मालवा) में हुआ।

शिक्षा: आरम्भिक शिक्षा कई स्थानों पर हुई और बाद में माधव कॉलेज, उज्जैन से इंटरमीडिएट किया। आपने काशी विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. किया। यहाँ आप पर अपने गुरु श्री केशवप्रसाद मिश्र का गहरा प्रभाव पड़ा। श्री मिश्रजी वेद एवं उपनिषदों के ज्ञाता एवं प्रकांड पंडित थे।

उज्जैन में ही आप स्वाधीनता आन्दोलन (1942) में छात्र-नेता के रूप में सक्रिय हुए। सन् 1948 से 53 तक आप आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों पर कार्यक्रम अधिकारी रहे। 1955 तक आप वामपंथी राजनीति से भी सम्बद्ध रहे। विद्यार्थी-काल में वाराणसी से प्रकाशित दैनिक ‘आज’ और ‘संसार’ में कार्यरत रहे। सन् 1953 में सरकारी सेवा से मुक्त होकर कुछ समय के लिए गांधी प्रतिष्ठान से जुड़े और तत्पश्चात् राष्ट्रीय मज़दूर कांग्रेस के प्रमुख साप्ताहिक ‘भारतीय श्रमिक’ के प्रधान सम्पादक रहे। साथ ही ‘कृति’ एवं ‘आगामी कल’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का सम्पादन किया।

सम्मान: ‘म.प्र. शासन सम्मान’, ‘सारस्वत सम्मान’, ‘म.प्र. शासन शिखर सम्मान’, ‘उ.प्र. शासन संस्थान सम्मान’। 1985 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, उ.प्र. शासन का सर्वोच्च ‘भारत भारतीसम्मान’, म.प्र. नाटक लोककला अकादमी द्वारा अलंकृत, म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ‘भवभूति अलंकरण’और सन् 1992 में ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’।

लेखन : सन् 1959 से 85 तक आपने इलाहाबाद में रहकर स्वतंत्र लेखन किया। 1985 से फरवरी, 1992 तक प्रेमचन्द सृजनपीठ के निदेशक रहे। प्रमुख दैनिक ‘चौथा संसार’ के प्रधान सम्पादक भी रहे। काव्य, खंडकाव्य, उपन्यास, एकांकी, कहानी, निबन्ध, यात्रा-वृत्तान्त आदि विधाओं में 40 से ज़्यादा रचनाएँ प्रकाशित। आपकी सम्पूर्ण रचनाएँ 11 खंडों में प्रकाशित ‘श्रीनरेश मेहता रचनावली’ में शामिल हैं।

निधन : 22 नवम्बर, 2000

Read More
Books by this Author

Back to Top