Rang Kolaj

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Rang Kolaj

रंग कोलाज रंगमंच के कुछ अनिवार्य सवालों पर उत्तेजक बहस छेड़ती है। इसमें अभिनेता, निर्देशक, नाट्य रचना, नुक्कड़ नाटक,  कहानी मंचन के बहाने रंगमंच के बदलते स्वरूप और समीकरणों को कई स्तरों पर परखने की कोशिश की गई है। कुछ सैद्धान्तिक सवाल उठाए गए हैं तो दूसरी ओर प्रयोग के धरातल पर भी संवाद बनाने की शुरुआत की गई है।

साहित्य के अध्येता और सक्रिय रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर का यह अध्ययन हिन्दी रंगकर्म के विद्यार्थियों और सुधी पाठकों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। अभिनेता की रचना प्रक्रिया, भारतीय रंगमंच में एकल अभिनय, अभिनेता और दर्शक के आपसी सम्बन्ध, नुक्कड़ नाटकों के व्याकरण, उनकी परम्परा तथा नाटककार और निर्देशक के अन्तर्सम्बन्धों पर अपने अनुभवों के परिप्रेक्ष्य में प्रकाश डालने के अलावा इस पुस्तक में लेखक ने कृष्ण बलदेव वैद और काशीनाथ सिंह की रचनात्मकता पर भी एक रंगकर्मी-आलोचक की हैसियत से पर्याप्त प्रकाश डाला है।

विवेचनात्मक आलेखों के साथ-साथ इस पुस्तक में दो नाटकों के अनुवाद भी शामिल हैं, और, साथ ही महेश आनन्द द्वारा अंकुर जी से लिया गया एक साक्षात्कार भी जो इस पुस्तक की उपयोगिता को और ज़्यादा बढ़ा देता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 159p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Devendra Raj Ankur

Author: Devendra Raj Ankur

देवेन्द्र राज अंकुर

 

दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य-कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नई दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य-प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारतीय शास्त्रीय नाटक और सौन्दर्यशास्त्र के सहायक प्राध्यापक। ‘सम्भव’, नई दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के साथ आधुनिक भारतीय रंगमंच में एक बिलकुल नई विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। विभिन्न शौकिया और व्यावसायिक रंगमंडलियों के साथ पूरे भारत और विदेशों में 400 से अधिक कहानियों, 16 उपन्यासों और 60 नाटकों की प्रस्तुति।

 

बांग्ला, उड़िया, कन्नड़, पंजाबी, कुमाऊँनी, तमिल, तेलगू, मलयालम, अंग्रेज़ी, धीवेही, सिंहली और रूसी भाषाओं में रंगकर्म का अनुभव। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा विभिन्न शहरों में संचालित गहन रंगमंच कार्यशालाओं में विशेषज्ञ, निर्देशक तथा शिविर और कार्यशाला निर्देशक के रूप में सम्बद्ध। देश के विभिन्न रंगमंच संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अतिथि परीक्षक। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की सभी प्रमुख पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में स्वतंत्र रूप से अभिनय, आधुनिक भारतीय नाटक, रंग स्थापत्य, प्रस्तुति प्रक्रिया, दृश्य सज्जा और रंगभाषण के अध्यापन का भी अनुभव। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, क्षेत्रीय अनुसंधान व संसाधन केन्द्र, बंगलौर के निदेशक।

 

हांगकांग, चीन, डेनमार्क, श्रीलंका, मालदीव, रूस, नेपाल, फ्रांस, मॉरीशस, बांग्लादेश, जापान, सिंगापुर, थाइलैंड, इटली, यू.के., पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन।

 

प्रमुख कृतियाँ : ‘पहला रंग’, ‘रंग कोलाज’, ‘दर्शन-प्रदर्शन’, ‘अन्तरंग बहिरंग’, ‘रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र’, ‘पढ़ते सुनते देखते’ आदि।

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