Pahala Rang

Drama Studies Books
As low as ₹476.00 Regular Price ₹595.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Pahala Rang
- +

भारतीय रंगमंच, विशेषतया, हिन्दी रंगमंच में पहली बार एक रंगकर्मी द्वारा कला, रंगमंच, नाटक और कथा-साहित्य से 

जुड़े अलग-अलग सवालों से साक्षात्कार करानेवाली एक ज़रूरी किताब–'पहला रंग', जिसमें केवल समसामयिक सन्दर्भों को ही विश्लेषित नहीं किया गया है, बल्कि 'नाट्यशास्त्र' से लेकर आज तक की सुदीर्घ रंगयात्रा के भीतर से उभरनेवाली जिज्ञासाओं, दुविधाओं और अवधारणाओं को एक नए और व्यावहारिक दृष्टिकोण से जाँचने-परखने की कोशिश भी की गई है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि भले ही कुछ विषय पहले से जाने-पहचाने हों, लेकिन उनका आकलन करनेवाली दृष्टि बिलकुल निजी एवं मौलिक है और इसीलिए एक ताज़गी का एहसास कराती है। एक साथ सिद्धान्त, इतिहास और उसी के साथ-साथ रंग निर्देशकों की प्रस्तुति-प्रक्रिया को समेटकर चलने से जो समग्र एवं व्यापक फलक प्राप्त होता है, वह अभी तक की भारतीय रंग-आलोचना में बहुत कम देखा गया है।
इस दृष्टि से देवेन्द्र राज अंकुर की यह पुस्तक कला, साहित्य और रंगमंच के अध्येताओं के लिए समान रूप से अपनी अनिवार्यता सिद्ध करती है।
More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1999
Edition Year 2021, Ed. 3rd
Pages 191p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Pahala Rang
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Devendra Raj Ankur

Author: Devendra Raj Ankur

देवेन्द्र राज अंकुर

 

दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य-कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नई दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य-प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारतीय शास्त्रीय नाटक और सौन्दर्यशास्त्र के सहायक प्राध्यापक। ‘सम्भव’, नई दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के साथ आधुनिक भारतीय रंगमंच में एक बिलकुल नई विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। विभिन्न शौकिया और व्यावसायिक रंगमंडलियों के साथ पूरे भारत और विदेशों में 400 से अधिक कहानियों, 16 उपन्यासों और 60 नाटकों की प्रस्तुति।

 

बांग्ला, उड़िया, कन्नड़, पंजाबी, कुमाऊँनी, तमिल, तेलगू, मलयालम, अंग्रेज़ी, धीवेही, सिंहली और रूसी भाषाओं में रंगकर्म का अनुभव। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा विभिन्न शहरों में संचालित गहन रंगमंच कार्यशालाओं में विशेषज्ञ, निर्देशक तथा शिविर और कार्यशाला निर्देशक के रूप में सम्बद्ध। देश के विभिन्न रंगमंच संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अतिथि परीक्षक। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की सभी प्रमुख पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में स्वतंत्र रूप से अभिनय, आधुनिक भारतीय नाटक, रंग स्थापत्य, प्रस्तुति प्रक्रिया, दृश्य सज्जा और रंगभाषण के अध्यापन का भी अनुभव। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, क्षेत्रीय अनुसंधान व संसाधन केन्द्र, बंगलौर के निदेशक।

 

हांगकांग, चीन, डेनमार्क, श्रीलंका, मालदीव, रूस, नेपाल, फ्रांस, मॉरीशस, बांग्लादेश, जापान, सिंगापुर, थाइलैंड, इटली, यू.के., पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन।

 

प्रमुख कृतियाँ : ‘पहला रंग’, ‘रंग कोलाज’, ‘दर्शन-प्रदर्शन’, ‘अन्तरंग बहिरंग’, ‘रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र’, ‘पढ़ते सुनते देखते’ आदि।

Read More
Books by this Author

Back to Top