Path Sampadan Ke Siddhant

Author: Kanhaiya Singh
Edition: 2022, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Path Sampadan Ke Siddhant
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प्राचीन कवियों के पाठों का जैसा वैज्ञानिक सम्पादन चाहिए, वैसा हिन्दी में कम हुआ है। जायसी और तुलसी के पाठ-सम्पादन के महत्त्वपूर्ण कार्य हुए हैं। अन्य कवियों के पाठों के अभी इतने सन्तोषजनक परिणाम नहीं मिले हैं। भाषा विषयक शोध, ऐतिहासिक शोध तथा रचनाकार की साहित्यिक सैद्धान्तिक समालोचना के लिए सर्वप्रथम उसकी रचना का मूलपाठ स्थिर होना आवश्यक होता है। इस पुस्तक में पाठ-सम्पादन के सिद्धान्त और अन्य सहायक विषयों की चर्चा की गई है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 157p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Kanhaiya Singh

Author: Kanhaiya Singh

कन्हैया सिंह

प्रमुख भारतीय साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह पाठ-सम्पादन एवं सूफ़ी काव्य के अधिकृत विद्वान् के रूप में हिन्दी जगत में सुपरिचित हैं। आजमगढ़ जनपद में जन्मे डॉ. कन्हैया सिंह एम.ए., एल.एल.बी., पीएच.डी., डी.लिट् आदि उपाधियों से विभूषित हैं।

विधि प्रवक्ता के रूप में आपने अपने अध्यापकीय जीवन का प्रारम्भ करते हुए हिन्दी के प्रवक्ता-रीडर अध्यक्ष, प्राचार्य, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, आदि दायित्वों का निर्वहन किया। इनकी चर्चित पुस्तकों में ‘सूफ़ी काव्य : सांस्कृतिक अनुशीलन’, ‘युगद्रष्टा मलिक मुहम्मद जायसी’, ‘सूफ़ीमत’, ‘हिन्दी सूफ़ी काव्य में हिन्दू संस्कृति’, ‘उदार इस्लाम का सूफ़ी चेहरा’, ‘पाठ-सम्पादन के सिद्धान्त’, ‘हिन्दी पाठानुसन्धान’, जायसीकृत ‘पद्मावति : मूल पाठ और टीका', ‘मध्यकालीन अवधी का विकास’, ‘राहुल सांकृत्यायन’, ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'’ आदि हैं। सृजनात्मक साहित्य के क्षेत्र में महत्त्‍पूर्ण ‘साहित्य और संस्कृति’ (निबन्ध-संग्रह), ‘वेदना के संवाद’ (ललित निबन्ध), ‘अँधेरे के अध्याय’ (संस्मरण), ‘पत्थर की मुस्कान’ (कहानी-संग्रह), ‘दक्षिणांचल दर्शन’ (यात्रा-वृत्तान्त) आदि पुस्तकें हैं। कुल चालीस से अधिक मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनके साहित्यिक अवदान को देखते हुए इनको उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान’ तथा ‘साहित्य भूषण सम्मान’, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का ‘सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार’, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का ‘साहित्य महोपाध्याय’ आदि पुरस्कारों से विभूषित किया गया है।

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