Facebook Pixel

Pali Hindi Kosh-Hard Cover

Special Price ₹1,015.75 Regular Price ₹1,195.00
15% Off
Out of stock
SKU
9788171787111
Share:
Codicon

आधुनिक भारत में और ख़ासतौर पर हिन्दी, गुजराती, बंगाली, मराठी भाषी क्षेत्रों में पालि-भाषा के अध्ययन की ओर आम लोगों की रुचि दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। भारत के कई विश्वविद्यालयों में पालि भाषा के अध्ययन-अध्यापन का कार्य हो रहा है। कई राज्यों में तो मिडल-स्कूल से पालि के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था की गई है। किन्तु पालि भाषा के छात्रों तथा अध्यापकों को ‘पालि-हिन्दी कोश’ की बहुत ही कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को दूर करने का काम इस ‘पालि-हिन्दी कोश’ ने किया है। भारतीय भाषा कोश में डॉ. भदन्त आनन्द कौसल्यायन का यह बड़ा योगदान है।

कहा जाता है कि किसी भी भाषा के अध्ययन के लिए उस भाषा का कोश अनिवार्य है। यह कोश उन सभी की आवश्यकता को पूरा करता है जो पालि पढ़ने में रुचि रखते हैं। यह ‘पालि-हिन्दी कोश’ पालि भाषा, हिन्दी भाषा तथा बौद्ध साहित्य के अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अधिकारी विद्वान द्वारा लिखा गया है। इससे हिन्दी, मराठी, और अन्य भारतीय भाषाओं के छात्र, अध्यापक निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे। यह भारतीय भाषाओं में पालि-हिन्दी का अपने ढंग का एकमात्र कोश है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1975
Edition Year 2024, 3rd
Pages 367p
Price ₹1,195.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Pali Hindi Kosh-Hard Cover
Your Rating

Author: Bhadant Anand Kaushalyayan

भदन्त आनन्द कौसल्यायन

जन्म : 5 जनवरी, 1905; मोहाली पंजाब।

बौद्ध भिक्षु, पालि भाषा के मूर्धन्य विद्वान तथा लेखक। पूरे जीवन घूम-घूमकर समतामूलक समाज का प्रचार-प्रसार करते रहे। बीसवीं शती में बौद्धधर्म के सर्वश्रेष्ठ क्रियाशील व्यक्तियों में गिने जाते हैं। कई राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रधानमंत्री रहे।

भारत के स्वतंत्रता में भी श्री भदन्त ने सक्रिय रूप से भाग लिया। वे भीमराव अम्बेडकर और महापंडित राहुल सांकृत्यायन से भी प्रभावित थे। उन्होंने भिक्षु जगदीश कश्यप, भिक्षु धर्मरक्षित आदि के साथ मिलकर त्रिपिटक का हिन्दी में अनुवाद किया। श्रीलंका जाकर बौद्ध भिक्षु हुए। वे श्रीलंका की विद्यालंकार विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यक्ष भी रहे।

प्रमुख कृतियाँ : ‘अगर बाबा न होते’, ‘भिक्खु के पत्र’, ‘वेद से मार्क्स तक’, ‘राम की कहानी, राम की ज़ुबानी’, ‘मनुस्मृति क्यों जलाई’, ‘बौद्धधर्म एक बुद्धिवादी अध्ययन’, ‘बौद्ध जीवन-पद्धति’, ‘जो भुला न सका’, ‘भगवान बुद्ध और अनुचर’, ‘भगवान बुद्ध और उनके समकालीन भिक्षु’ आदि।

अनुवाद : ‘जातक अट् ठकथा’, का 6 खंडों में पालि भाषा से हिन्दी में अनुवाद। ‘धम्मपद’, के हिन्दी अनुवाद के अलावा पालि भाषा की कई किताबों का हिन्दी में अनुवाद। अम्बेडकर के ‘दि बुद्धा एंड हिज़ धम्मा’ ग्रन्थ का हिन्दी एवं पंजाबी में अनुवाद।

निधन : 22 जून, 1988

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top