आधुनिक भारत में और ख़ासतौर पर हिन्दी, गुजराती, बंगाली, मराठी भाषी क्षेत्रों में पालि-भाषा के अध्ययन की ओर आम लोगों की रुचि दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। भारत के कई विश्वविद्यालयों में पालि भाषा के अध्ययन-अध्यापन का कार्य हो रहा है। कई राज्यों में तो मिडल-स्कूल से पालि के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था की गई है। किन्तु पालि भाषा के छात्रों तथा अध्यापकों को ‘पालि-हिन्दी कोश’ की बहुत ही कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को दूर करने का काम इस ‘पालि-हिन्दी कोश’ ने किया है। भारतीय भाषा कोश में डॉ. भदन्त आनन्द कौसल्यायन का यह बड़ा योगदान है।
कहा जाता है कि किसी भी भाषा के अध्ययन के लिए उस भाषा का कोश अनिवार्य है। यह कोश उन सभी की आवश्यकता को पूरा करता है जो पालि पढ़ने में रुचि रखते हैं। यह ‘पालि-हिन्दी कोश’ पालि भाषा, हिन्दी भाषा तथा बौद्ध साहित्य के अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अधिकारी विद्वान द्वारा लिखा गया है। इससे हिन्दी, मराठी, और अन्य भारतीय भाषाओं के छात्र, अध्यापक निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे। यह भारतीय भाषाओं में पालि-हिन्दी का अपने ढंग का एकमात्र कोश है।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1975 |
Edition Year | 2024, 3rd |
Pages | 367p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 2 |