Muktibodh : Kavita Ka Aadhyabimbattva

As low as ₹675.75 Regular Price ₹795.00
You Save 15%
In stock
Only %1 left
SKU
Muktibodh : Kavita Ka Aadhyabimbattva
- +

कृष्णमुरारि मिश्र हिन्दी आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उन्हें हिन्दी की आद्यबिम्बात्मक आलोचना के प्रर्वतन का श्रेय प्राप्त है। साहित्यिक रचनाओं की संरचनात्मक व्याख्या और वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के लिए वे प्रख्यात हैं।

‘मुक्तिबोध : कविता का आद्यबिम्बत्व’ पुस्तक मुक्तिबोध की कविता की व्याख्या और मूल्यांकन के  नए आयाम प्रदान करती है। पुस्तक में बहिस्साक्ष्य और अन्तःसाक्ष्य के आधार पर मुक्तिबोध का विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान से घनिष्ठ परिचय एवं उनके सृजन में विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान की धारणाओं के उपयोग को प्रमाणित किया गया है। नए कवियों में मुक्तिबोध ने ही युंगीय मनोविज्ञान के महत्त्व को सर्वप्रथम और सर्वाधिक अनुभव किया था। साथ ही फ्रायड के सिद्वान्त भी उनके काव्य में प्रगतिवादी विचारधारा के अनुरूप ढलकर प्रयुक्त हुए हैं। मुक्तिबोध की विश्व-दृष्टि प्रगतिवादी थी, उनका प्रगतिवाद विभिन्न दर्शनों और विज्ञानों से पोषित था।

इस पुस्तक में मुक्तिबोध की कविता में अचेतन के आद्यबिम्बों और आत्मोपलब्धि प्रक्रिया के आद्यबिम्बों का अध्ययन किया गया है। इसके साथ ही ‘भाषा का आद्यबिम्बत्व’ शीर्षक निबन्ध में मुक्तिबोध के काव्य की भाषिक संरचना, ‘ब्रह्मराक्षस’ शीर्षक निबन्ध में कविता के ब्रह्मराक्षस की पहचान है। हिन्दी आलोचना के इतिहास में पहली बार लेखक ने पुष्ट प्रमाणों के आधार पर सिद्ध किया है कि ब्रह्मराक्षस जयशंकर प्रसाद को बिम्बित करता है।

आशा है कि यह हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक साबित होगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.6 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Muktibodh : Kavita Ka Aadhyabimbattva
Your Rating
Krishna Murari Mishra

Author: Krishna Murari Mishra

कृष्णमुरारि मिश्र का जन्म दिसम्बर, 1948 को चन्दौसी, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. और भागलपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त की। पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज, दिल्ली से अध्यापन आरम्भ किया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, अधिष्ठाता कला संकाय और कार्यवाहक कुलपति का दायित्व वहन किया। पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों तथा राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में अनगिनत व्याख्यान दिए। कई चयन समितियों और अध्ययन-मंडलों व शोध-समितियों में विशेषज्ञ रहे। अनेक शैक्षिक, साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की सदस्यता उन्हें प्राप्त हैं।

उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘आद्यबिम्ब और नई कविता’, ‘आद्यबिम्ब और गोदान’, ‘आद्यबिम्ब और साहित्यालोचन’, ‘मुक्तिबोध : कविता का आद्यबिम्बत्व’।

उन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी की ओर से ‘अखिल भारतीय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

Read More
Books by this Author
Back to Top