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Manrega-Paper Back

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आज़ादी के छह दशक बाद भी ग्रामीण विकास की जटिल चुनौतियाँ विश्व के विशालतम लोकतंत्र हमारे देश के लिए चिन्ता का विषय रही हैं। सुखद है कि इस दिशा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2005 ने कम ही समय में अपनी प्रासंगिकता एवं दीर्घकालिक उपयोगिता प्रमाणित कर दी है।

मनरेगा से बन रहे सामाजिक सुरक्षा के परिवेश ने करोड़ों ग्रामीण भारतीयों के जीवन में बड़े बदलाव की सम्भावना पैदा कर दी है। यह बदलाव मनरेगा के साथ अन्य महत्त्वपूर्ण योजनाओं एवं कार्यक्रमों के रचनात्मक एवं नवाचारी समावेश द्वारा बड़े स्तर पर लाना सम्भव हो रहा है। अब मनरेगा के तहत सुयोग्य श्रेणियों के व्यक्तिगत लाभुकों की ज़मीन में भी भूमि एवं जल संरक्षण एवं सिंचाई कूप जैसी अत्यन्त उपयोगी विभिन्न परिसम्पत्तियों के निर्माण के प्रावधान ने इन सम्भावनाओं को और गहन कर दिया है।

मनरेगा ने पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण का भी एक महत्त्वपूर्ण ज़रिया दिया है क्योंकि लागत के हिसाब से 50 प्रतिशत कार्यों का कार्यान्वयन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जा रहा है। मनरेगा के तहत ग्रामसभा को मिली विशिष्ट हैसियत ने हमारे विशाल लोकतंत्र में जन-जन की प्रत्यक्ष भागीदारी का अनूठा प्रयोग सम्भव बना दिया है। पारदर्शिता और सामाजिक अंकेक्षण हो या फिर शिकायत निवारण और ओम्बड्‌समैन प्रणाली, हर मामले में ठोस एवं नए के माध्यम से मनरेगा एक अद्‌भुत कार्यक्रम बन गया है।

मनरेगा के क्रियान्वयन के अब तक के अनुभवों के आधार पर वर्ष 2013 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। मुझे प्रसन्नता है कि प्रस्तुत पुस्तक में उन दिशानिर्देशों को समाहित किया गया है। ग्रामीण भारत में बड़े बदलाव की वाहक इस योजना का लाभ हर वांछित तक पहुँचाने के लिए इसके प्रावधानों व कार्यप्रणाली के बारे में समुचित जानकारी आवश्यक है।

—भूमिका से

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 143p
Price ₹75.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Vishnu Rajgariya

Author: Vishnu Rajgariya

विष्णु राजगढ़िया

पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर (स्वर्णपदक) तथा नेट (यूजीसी), रघुवीर सहाय की पत्रकारिता पर पीएच.डी.।

‘समकालीन जनमत’ (पटना) से जुड़कर पत्रकारिता के बाद ‘प्रभात ख़बर’ (धनबाद) में स्थानीय सम्पादक तथा प्रभात ख़बर इंस्टिट्यूट (राँची) में निदेशक का दायित्व सँभाला। ‘नई दुनिया’ के झारखंड ब्यूरो प्रमुख, पंचायत रिसोर्स सेंटर के राज्य समन्वयक तथा कौशल विकास मिशन में संचार प्रमुख पद पर कार्य का अनुभव। सूचना का अधिकार, मनरेगा, भोजन का अधिकार तथा उपभोक्ता आन्दोलन से गहरा जुड़ाव।

सम्प्रति : निदेशक, झारखंड फ़ाउंडेशन।

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