Soochana Ka Adhikar

Editor: Harivansh
Edition: 2022, Ed. 6th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Soochana Ka Adhikar
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राजशाही में व्यक्ति और समाज के पास कोई अधिकार था, तो सिर्फ़ इतना कि वह सत्तावर्ग की आज्ञा का चुपचाप पालन करे। राजा निरंकुश था, सर्वशक्तिमान। उस पर कोई उँगली नहीं उठा सकता था, न उसे किसी चीज़ के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता था।

औद्योगिक क्रान्ति तथा उदारवाद के आगमन और लोकतांत्रिक शासन पद्धतियों के प्रारम्भ के साथ ही नागरिक स्वतंत्रता की अवधारणा आई। इसके बावजूद द्वितीय विश्वयुद्ध तक प्रजातांत्रिक देशों में भी शासनतंत्र में ‘गोपनीयता’ एक स्वाभाविक चीज़ बनी रही। विभिन्न दस्तावेज़ों में क़ैद सूचनाओं को ‘गोपनीय’ अथवा ‘वर्गीकृत’ करार देकर नागरिकों की पहुँच से दूर रखा गया। लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के बावजूद राजनेताओं एवं अधिकारियों में स्वयं को ‘शासक’ या ‘राजा’ समझने की प्रवृत्ति हावी रही।

यही शासकवर्ग आज भारतीय लोकतंत्र का असली मालिक है। नागरिक का पाँच साल में महज़ एक वोट डाल आने का बेहद सीमित अधिकार इतना निरुत्साहित करनेवाला है कि चुनावों में बोगस वोट न पड़ें तो मतदान का प्रतिशत तीस-चालीस फ़ीसदी भी न पहुँचे।

यही कारण है कि अक्टूबर 2005 से लागू सूचनाधिकार लोकतांत्रिक राजा की सत्ता के लिए गहरे सदमे के रूप में आया है। राजनेता और नौकरशाह हतप्रभ हैं कि इस क़ानून ने आम नागरिक को लगभग तमाम ऐसी चीज़ों को देखने, जानने, समझने, पूछने की इजाज़त दे दी है, जिन पर परदा डालकर लोकतंत्र को राजशाही अन्दाज़ में चलाया जा रहा था। इस पुस्तक में संकलित उदाहरणों में आप देख पाएँगे कि किस तरह लोकतांत्रिक राजशाही तेज़ी से अपने अन्त की ओर बढ़ रही है।

साथ ही इस पुस्तक में यह भी बताया गया है कि हम अपने इस अधिकार का प्रयोग कैसे करें।

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2022, Ed. 6th
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Harivansh
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Vishnu Rajgariya

Author: Vishnu Rajgariya

विष्णु राजगढ़िया

पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर (स्वर्णपदक) तथा नेट (यूजीसी), रघुवीर सहाय की पत्रकारिता पर पीएच.डी.।

‘समकालीन जनमत’ (पटना) से जुड़कर पत्रकारिता के बाद ‘प्रभात ख़बर’ (धनबाद) में स्थानीय सम्पादक तथा प्रभात ख़बर इंस्टिट्यूट (राँची) में निदेशक का दायित्व सँभाला। ‘नई दुनिया’ के झारखंड ब्यूरो प्रमुख, पंचायत रिसोर्स सेंटर के राज्य समन्वयक तथा कौशल विकास मिशन में संचार प्रमुख पद पर कार्य का अनुभव। सूचना का अधिकार, मनरेगा, भोजन का अधिकार तथा उपभोक्ता आन्दोलन से गहरा जुड़ाव।

सम्प्रति : निदेशक, झारखंड फ़ाउंडेशन।

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