Kasturi Kundal Basei-Hard Cover

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ISBN:9788126704217
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हर आत्मकथा एक उपन्यास है और हर उपन्यास एक आत्मकथा। दोनों के बीच सामान्य सूत्र ‘फिक्शन’ है। इसी का सहारा लेकर दोनों अपने को अपने आप की कैद से निकालकर दूसरे के रूप में सामने खड़ा कर देते हैं। यानी दोनों ही कहीं-न-कहीं सर्जनात्मक कथा-गढ़न्त हैं। इधर उपन्यास की निर्वैयक्तिकता और आत्मकथा की वैयक्तिकता मिलकर उपन्यासों का नया शिल्प रच रही हैं। आत्मकथाएँ व्यक्ति की स्फुटित चेतना का जायजा होती हैं, जबकि उपन्यास व्यवस्था से मुक्ति-संघर्ष की व्यक्तिगत कथाएँ। आत्मकथा पाए हुए विचार की या ‘सत्य के प्रयोग’ की सूची है और उपन्यास विचार का विस्तार और अन्वेषण।
जो तत्त्व किसी आत्मकथा को श्रेष्ठ बनाता है वह है उन अन्तरंग और लगभग अनछुए अकथनीय प्रसंगों का अन्वेषण और स्वीकृति जो व्यक्ति की कहानी को विश्वसनीय और आत्मीय बनाते हैं। हिन्दी में जो गिनी-चुनी आत्मकथाएँ हैं, उनमें एक-आध को छोड़ दें तो ऐसी कोई नहीं है जिसकी तुलना मराठी या उर्दू की आत्मकथाओं से भी की जा सके। इन्हें पढ़ते हुए कबीर की उक्ति ‘सीस उतारै भूंई धरै’ की याद आती है। यह साहसिक तत्त्व कस्तूरी कुण्डल बसै में पहली बार दिखाई देता है।
चाक, इदन्नमम और अल्मा कबूतरी जैसे उपन्यासों की बहुपठित लेखिका मैत्रेयी पुष्पा की इस औपन्यासिक आत्मकथा ने हिन्दी के आत्मकथात्मक लेखन को एक नई दिशा और तेवर दिया है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 7th
Pages 332p
Price ₹995.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2.5
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Maitreyi Pushpa

Author: Maitreyi Pushpa

मैत्रेयी पुष्‍पा

 

जन्म : 30 नवम्बर, 1944; अलीगढ़ ज़ि‍ले के सिकुर्रा गाँव में।

आरम्भिक जीवन : ज़ि‍ला झाँसी के खिल्ली गाँव में।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बुन्देलखंड कॉलेज, झाँसी।

प्रमुख कृतियाँ : ‘चिन्हार’, ‘गोमा हँसती है’, ‘ललमनियाँ तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पियरी का सपना’, ‘10 प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘समग्र कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘बेतवा बहती रही’, ‘इदन्नमम’, ‘चाक’, ‘झूला नट’, ‘अल्मा कबूतरी’, ‘अगनपाखी’, ‘विजन’, ‘कही ईसुरी फाग’, ‘त्रिया हठ’, ‘गुनाह-बेगुनाह’, ‘फ़रिश्ते निकले’ (उपन्यास); ‘कस्तूरी कुंडल बसै’, ‘गुड़िया भीतर गुड़िया’ (आत्मकथा); ‘खुली खिड़कियाँ’, ‘सुनो मालिक सुनो’, ‘चर्चा हमारा’, ‘आवाज़’, ‘तब्दील निगाहें’ (स्त्री-विमर्श); ‘फ़ाइटर की डायरी’ (रिपोर्ताज)।

‘फ़ैसला’ कहानी पर टेलीफ़ि‍ल्म 'वसुमती की चिट्ठी’ और ‘इदन्नमम’ पर 'मंदा हर युग में’ धारावाहिक का प्रसारण।

प्रमुख सम्मान : ‘सार्क लिट्रेरी अवार्ड’, 'द हंगर प्रोजेक्ट’ (पंचायती राज) का ‘सरोजिनी नायडू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’, हिन्दी अकादमी का ‘साहित्यकार सम्मान’, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का ‘वीरसिंह जूदेव पुरस्कार’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘शाश्वती सम्मान’ एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘महात्मा गांधी सम्मान’ आदि।

वर्तमान में हिन्दी अकादमी, दिल्ली में उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत रहीं।

 

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