Chaak

Author: Maitreyi Pushpa
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Chaak
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‘चाक’ सामन्ती समाज के भीतर व्याप्त हिंसा और स्वार्थों की टकराहट की प्रामाणिक कहानी है। इस समाज का ताना-बाना हिंसा और सेक्स से बना है। मैत्रेयी इन दोनों को ही एक कथाकार की निगाह से पात्रों के आचार-विचार और सोच के रूप में प्रभावशाली ढंग से पकड़ती हैं। ‘चाक’ में बिना बड़बोलेपन के उन्होंने गाँव की स्त्री की जिस चेतना का विकास किया है, वह उपन्यास-कला पर उनकी पकड़ को रेखांकित करता है।

— राजेन्द्र यादव

जिस लोकजीवन से हमारी रचनात्मक धारा काफ़ी पहले विमुख हो चुकी थी, उसकी अनेक परतें मैत्रेयी पुष्पा ने खोल दी हैं। मैत्रेयी पुष्पा को उनकी मामूली लेकिन ज़बरदस्त स्त्रियों के कारण याद किया जाएगा।

— ज्ञानरंजन

मैत्रेयी में मानवीय भावों की सघन अन्तरंगता और सम्बन्धों की जटिलता को चित्रित करने की अनोखी क्षमता मौजूद है।

— परमानन्द श्रीवास्तव

स्त्री की कथादृष्टि ही नहीं, उसकी शैली और वाक्य-रचना भी पुरुष से भिन्न होती है। इसका प्रमाण ‘चाक’ की कथा-संरचना और कथा-भाषा में दिखाई देता है। ‘चाक’ की कथा एक स्तर पर गद्य में चलती है और इसके साथ दूसरे स्तर पर लोकगीतों में।

— मैनेजर पाण्डेय।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1997
Edition Year 2018, Ed. 6th
Pages 435p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3.5
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Maitreyi Pushpa

Author: Maitreyi Pushpa

मैत्रेयी पुष्‍पा

 

जन्म : 30 नवम्बर, 1944; अलीगढ़ ज़ि‍ले के सिकुर्रा गाँव में।

आरम्भिक जीवन : ज़ि‍ला झाँसी के खिल्ली गाँव में।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बुन्देलखंड कॉलेज, झाँसी।

प्रमुख कृतियाँ : ‘चिन्हार’, ‘गोमा हँसती है’, ‘ललमनियाँ तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पियरी का सपना’, ‘10 प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘समग्र कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘बेतवा बहती रही’, ‘इदन्नमम’, ‘चाक’, ‘झूला नट’, ‘अल्मा कबूतरी’, ‘अगनपाखी’, ‘विजन’, ‘कही ईसुरी फाग’, ‘त्रिया हठ’, ‘गुनाह-बेगुनाह’, ‘फ़रिश्ते निकले’ (उपन्यास); ‘कस्तूरी कुंडल बसै’, ‘गुड़िया भीतर गुड़िया’ (आत्मकथा); ‘खुली खिड़कियाँ’, ‘सुनो मालिक सुनो’, ‘चर्चा हमारा’, ‘आवाज़’, ‘तब्दील निगाहें’ (स्त्री-विमर्श); ‘फ़ाइटर की डायरी’ (रिपोर्ताज)।

‘फ़ैसला’ कहानी पर टेलीफ़ि‍ल्म 'वसुमती की चिट्ठी’ और ‘इदन्नमम’ पर 'मंदा हर युग में’ धारावाहिक का प्रसारण।

प्रमुख सम्मान : ‘सार्क लिट्रेरी अवार्ड’, 'द हंगर प्रोजेक्ट’ (पंचायती राज) का ‘सरोजिनी नायडू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’, हिन्दी अकादमी का ‘साहित्यकार सम्मान’, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का ‘वीरसिंह जूदेव पुरस्कार’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘शाश्वती सम्मान’ एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘महात्मा गांधी सम्मान’ आदि।

वर्तमान में हिन्दी अकादमी, दिल्ली में उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत रहीं।

 

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