Hindi Sahitya Ka Samikshatmak Itihas

Author: Vijaypal Singh
Edition: 2022, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Hindi Sahitya Ka Samikshatmak Itihas

हिन्दी साहित्य में रीति काव्य, ख़ासतौर से केशव पर डॉ. विजयपाल सिंह की पुस्तकें अत्यन्त लोकप्रिय रही हैं। इस पुस्तक में उन्होंने असाधारण प्रवाह के साथ हिन्दी साहित्य के विभिन्न चरणों और प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक अध्ययन किया है।

अभी तक उपलब्ध विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखे गए इतिहासों को ध्यान में रखते हुए तथा नए तथ्यों को समाहित करते हुए इस पुस्तक में उन्होंने प्रयास किया है कि आरम्भिक काल से लेकर आधुनिक साहित्य तक का विस्तारपूर्वक विवेचन प्रस्तुत किया जा सके।

लेखक ने इस कृति को ग्यारह खंडों में विभाजित किया है। खंडों का विभाजन साहित्येतिहास के आलोचकों, समीक्षकों तथा साहित्येतिहासकारों, अनुसन्धानों तथा टिप्पणियों के विश्लेषण और पुनर्मूल्यांकन के आधार पर किया गया है।

लेखक ने डॉ. ग्रियर्सन, हजारीप्रसाद द्विवेदी, मिश्र-बन्धुओं, रामकुमार वर्मा, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, इडविन ग्रिब्ज जैसे विद्वानों द्वारा किए काल खंडों का भी पुनर्मूल्यांकन और विश्लेषण किया है।

पुस्तक के लेखन में विद्वान आलोचक ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि विद्वज्जनों के साथ-साथ यह पुस्तक छात्रों, शोधार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए भी सहज ग्राह्य हो।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 320p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Vijaypal Singh

Author: Vijaypal Singh

विजयपाल सिंह

जन्म : 21 जून, 1923; ग्राम—बनवारीपुर, जलेसर, एटा (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) प्रथम श्रेणी, एम.ए. (संस्कृत) प्रथम श्रेणी, पीएच.डी., डी.लिट्.।

कार्यक्षेत्र : श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुपति (आंध्र) तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व प्रोफ़ेसर एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष (सन् 1960-1983 ई.)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘केशव और उनका साहित्य’, ‘केशव का आचार्यत्व’, ‘केशव की काव्य-चेतना’, ‘केशव-कोश, ‘केशव-समग्र’, ‘सामान्य हिन्दी’, ‘रीतिकालीन साहित्य कोश’, ‘रामचन्द्रिका’, ‘कवि प्रिया’ तथा ‘रसिक प्रिया की टीकाएँ’, ‘हिन्दी अनुसन्धान’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र’, ‘संस्कृत साहित्य का इतिहास’।

सम्पादन : ‘कथा-एकादशी’, ‘श्रेष्ठ कहानियाँ’, ‘श्रेष्ठ एकांकी’, ‘रीतिकाव्य संग्रह’, ‘साहित्यिक रेखाचित्र’, ‘बिहारी वैभव’, काशी हिन्दी विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका के अनेक वर्षों तक प्रधान सम्पादक।

यात्राएँ : रूस 1974, मॉरिशस 1976 और नेपाल की अनेक बार यात्राएँ।

सम्मान : ‘वेंकटेश्वर से विश्वनाथ : डॉ. विजयपाल सिंह अभिनन्दन ग्रन्थ’ कई पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 29 दिसम्बर, 2008

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