Hindi Anusandhan

Author: Vijaypal Singh
Edition: 2011, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Hindi Anusandhan
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स्वातंत्र्योत्तर काल में हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं ने एक परिपक्वता और प्रौढ़ता प्राप्त की है। प्रसिद्ध समालोचक डॉ. विजयपाल सिंह की महत्त्वपूर्ण कृति ‘हिन्दी अनुसन्धान’ से यह स्पष्ट हो जाता है कि साहित्यिक शोध ने भी एक वैज्ञानिक परिष्कार पा लिया है। शोध सम्बन्धी पद्धति और प्रक्रिया का वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रस्तुत करने के साथ ही ‘हिन्दी-अनुसन्धान’ में पहली बार शोध की दो नवीन प्रणालियों-लोकतात्त्विक शोध व भाषातात्त्विक शोध पर विचार किया गया है। डॉ. विजयपाल सिंह का यह समसामयिक अध्ययन साहित्य के अध्येताओं और छात्रों के लिए सदा ही उपयोगी साबित होगा।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 601p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Vijaypal Singh

Author: Vijaypal Singh

विजयपाल सिंह

जन्म : 21 जून, 1923; ग्राम—बनवारीपुर, जलेसर, एटा (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) प्रथम श्रेणी, एम.ए. (संस्कृत) प्रथम श्रेणी, पीएच.डी., डी.लिट्.।

कार्यक्षेत्र : श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुपति (आंध्र) तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व प्रोफ़ेसर एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष (सन् 1960-1983 ई.)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘केशव और उनका साहित्य’, ‘केशव का आचार्यत्व’, ‘केशव की काव्य-चेतना’, ‘केशव-कोश, ‘केशव-समग्र’, ‘सामान्य हिन्दी’, ‘रीतिकालीन साहित्य कोश’, ‘रामचन्द्रिका’, ‘कवि प्रिया’ तथा ‘रसिक प्रिया की टीकाएँ’, ‘हिन्दी अनुसन्धान’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र’, ‘संस्कृत साहित्य का इतिहास’।

सम्पादन : ‘कथा-एकादशी’, ‘श्रेष्ठ कहानियाँ’, ‘श्रेष्ठ एकांकी’, ‘रीतिकाव्य संग्रह’, ‘साहित्यिक रेखाचित्र’, ‘बिहारी वैभव’, काशी हिन्दी विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका के अनेक वर्षों तक प्रधान सम्पादक।

यात्राएँ : रूस 1974, मॉरिशस 1976 और नेपाल की अनेक बार यात्राएँ।

सम्मान : ‘वेंकटेश्वर से विश्वनाथ : डॉ. विजयपाल सिंह अभिनन्दन ग्रन्थ’ कई पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 29 दिसम्बर, 2008

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