Reetikaleen Sahitya Kosh

Author: Vijaypal Singh
Edition: 2022, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Reetikaleen Sahitya Kosh

तीन वर्षों के अथक परिश्रम के उपरांत तैयार किया गया डॉ. विजयपाल सिंह का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है–‘रीतिकालीन साहित्य कोश’। हिंदी में अद्यावधि समीक्षकों को लेकर तैयार किया गया एक दुर्लभ कोश!
प्रस्तुत कोश के अंतर्गत रीतिकालीन काव्य की प्रवृत्तियों, काव्यगत विशेषताओं पर विस्तार से विचार किया गया है।
शृंगार, नायिका भेद, विभिन्न रस, लक्ष्य एवं लक्षणग्रंथ, रीतिबद्ध, रीतिमुक्त, रीतिसिद्ध काव्य, प्रबंध मुक्तक, भाषा, शैली, अलंकार, पिंगल, शास्त्रीय शब्द संपत्ति, भक्ति, धर्म, नीति, विभिन्न संप्रदाय, साहित्यशास्त्र के आचार्य तथा शब्दकोश कला आदि अनेक विषयों से शब्द लेकर सभी दृष्टियों से इस कोश को ज्ञानवर्द्धक तथा उपयोगी बनाने के साथ-साथ लेखक ने रीतिकाल के विभिन्न पक्षों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला है।
‘रीतिकालीन साहित्य कोश’ शोध छात्रों, अध्येताओं के लिए एक अनिवार्य ग्रंथ है ।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1997
Edition Year 2022, Ed. 3rd
Pages 705p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 4
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Vijaypal Singh

Author: Vijaypal Singh

विजयपाल सिंह

जन्म : 21 जून, 1923; ग्राम—बनवारीपुर, जलेसर, एटा (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) प्रथम श्रेणी, एम.ए. (संस्कृत) प्रथम श्रेणी, पीएच.डी., डी.लिट्.।

कार्यक्षेत्र : श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुपति (आंध्र) तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व प्रोफ़ेसर एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष (सन् 1960-1983 ई.)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘केशव और उनका साहित्य’, ‘केशव का आचार्यत्व’, ‘केशव की काव्य-चेतना’, ‘केशव-कोश, ‘केशव-समग्र’, ‘सामान्य हिन्दी’, ‘रीतिकालीन साहित्य कोश’, ‘रामचन्द्रिका’, ‘कवि प्रिया’ तथा ‘रसिक प्रिया की टीकाएँ’, ‘हिन्दी अनुसन्धान’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र’, ‘संस्कृत साहित्य का इतिहास’।

सम्पादन : ‘कथा-एकादशी’, ‘श्रेष्ठ कहानियाँ’, ‘श्रेष्ठ एकांकी’, ‘रीतिकाव्य संग्रह’, ‘साहित्यिक रेखाचित्र’, ‘बिहारी वैभव’, काशी हिन्दी विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका के अनेक वर्षों तक प्रधान सम्पादक।

यात्राएँ : रूस 1974, मॉरिशस 1976 और नेपाल की अनेक बार यात्राएँ।

सम्मान : ‘वेंकटेश्वर से विश्वनाथ : डॉ. विजयपाल सिंह अभिनन्दन ग्रन्थ’ कई पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 29 दिसम्बर, 2008

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