Har Barish Mein

Author: Nirmal Verma
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Har Barish Mein
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निर्मल वर्मा अपनी इस पुस्तक और इसके निबन्धों को­­ भी, दो पूर्ण बिन्दुओं के बीच की कड़ी मानते थे। विधा के रूप में भी ये आलेख यात्रावृत्त और निबन्ध के बीच कहीं ठहरते हैं, ‘जहाँ न भोग का सुख है, न समाधान का निश्चय’। अपने दूसरे यूरोप प्रवास के दौरान उन्होंने यूरोप की धड़कन, उसके गौरव और शर्म के क्षणों को बहुत नज़दीक से देखा-सुना था। इस लिहाज से यह पुस्तक एक ऐसी नियतिपूर्ण घड़ी का दस्तावेज़ है, जब बीसवीं शती के अनेक काले-उजले पन्ने पहली बार खुले थे। दुब्चेक काल का प्राग-वसन्त, सोवियत-स्वप्न का मोह-भंग, पेरिस के बेरिकेडों पर उगती आकांक्षाएँ—ऐसी अभूतपूर्व घटनाएँ थीं, जिन्हें हमारी ढलती शताब्दी की छाया में निर्मल वर्मा ने पकड़ने की कोशिश की, किसी बने-बनाए आइने के माध्यम से नहीं बल्कि सम्पूर्णतया अपनी नंगी आँखों के सहारे।

शायद यही कारण है कि इस पुस्तक के निबन्ध कभी-कभी एक ऐसे ‘निर्वासित’ लेखक के रिपोर्ताज जान पड़ते हैं, जिनमें उन्होंने ‘युद्ध’ के मोर्चे पर घायल संस्कृतियों के घावों को जैसा देखा, वैसा ही आँकने की कोशिश की और भारतीय आत्मसन्तोष से हटकर, ख़ुद अपने देश की व्यवस्था को इन घावों में रिसते देखा।

वैज्ञानिक प्रगति के अकल्पनीय चरणों को पार करने के बाद आज भी जब हम देखते हैं कि इतिहास से न राजनीति ने कुछ सीखा है, न संस्कृतियों और धर्मों ने, तो इन निबन्धों को पढ़ना, इनकी अन्तर्दृष्टि तक पहुँचना और ज़रूरी जान पड़ता है।  

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 12.5 X 1
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Nirmal Verma

Author: Nirmal Verma

निर्मल वर्मा

निर्मल वर्मा हिन्दी कथा-साहित्य के अन्यतम हस्ताक्षर हैं। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1929 को शिमला में हुआ। वे अपने मौलिक लेखन के लिए जितने लोकप्रिय रहे, उतने ही विश्व-साहित्य के अपने अनुवादों के लिए। वैचारिक चिन्तन और हस्तक्षेप के लिए भी समादृत। लेखन के लिए भारतीय ज्ञानपीठ, साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता और पद्मभूषण सहित अनेक पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिले। भारत सरकार द्वारा 2005 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किये गये। उसी वर्ष 25 अक्तूबर को नई दिल्ली में देहावसान। 

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