Cheeron Par Chandani

Author: Nirmal Verma
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(1) Reviews
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Cheeron Par Chandani
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निर्मल वर्मा कहते हैं, ‘अकसर सोचता हूँ, कौन-सा सही तरीक़ा है, किसी देश के जातीय गुण जानने का! शायद बहुत छोटी बातों से, जिनका कोई विशेष महत्त्व नहीं है, जिन्हें नज़रअन्दाज़ किया जा सकता है’—निर्मल वर्मा का यात्री-मन शहरों, देशों, समाजों, ऐतिहासिक स्थलों, म्यूज़ियमों, पबों और बारों में किसी भी देश के भूत-भविष्य और वर्तमान को ऐसी ही छोटी-छोटी बातों से जानता और पाठक तक पहुँचाता है। शायद इसीलिए उनके यात्रा-विवरणों को पढ़ना न थकाता है, न बोझिल करता है, उलटे हम जैसे अपने ऊपर ठहरी अपने दैनन्दिन जीवन की थकान को उनके गद्य के प्रवाह में तिरोहित करते जाते हैं; हल्के और प्रकाशित महसूस करते हुए।

‘चीड़ों पर चाँदनी’ (प्रथम प्रकाशन 1964) न सिर्फ़ निर्मल वर्मा के उत्कृष्ट गद्य का नमूना है, बल्कि एक यात्रा-वृत्तान्त के रूप में भी यह पुस्तक एक मानक का दर्ज़ा हासिल कर चुकी है। जिन यात्राओं का वर्णन इस पुस्तक में उन्होंने किया है, वे सिर्फ़ बाहर की यात्राएँ नहीं हैं, न सिर्फ़ उस क्षण तक सीमित जब वे की जा रही थीं—ये भीतर की यात्राएँ भी हैं, और स्मृतियों की भी, इतिहास की भी। उन शहरों और सड़कों की यात्राएँ जिन पर  कहीं अतीत के विध्वंसों के अवशेष आपको चौंका देते हैं, अवसाद से भर देते हैं तो  कहीं महान लेखकों, चित्रकारों, कलाकारों की कालातीत मौजूदगी उम्मीद से भर देती है, जिन्होंने अपने समय में मनुष्य के लिए दूर तक जानेवाली राहें बनाई थीं।

कहानी, निबन्ध, डायरी और यात्रा-वृत्त—इन सब विधाओं का परिपाक इस पुस्तक में हुआ है। इन यात्राओं से गुज़रते हुए हम एक से ज्यादा स्तरों पर समृद्ध होते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 220p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 12.5 X 1
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Nirmal Verma

Author: Nirmal Verma

निर्मल वर्मा

निर्मल वर्मा हिन्दी कथा-साहित्य के अन्यतम हस्ताक्षर हैं। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1929 को शिमला में हुआ। वे अपने मौलिक लेखन के लिए जितने लोकप्रिय रहे, उतने ही विश्व-साहित्य के अपने अनुवादों के लिए। वैचारिक चिन्तन और हस्तक्षेप के लिए भी समादृत। लेखन के लिए भारतीय ज्ञानपीठ, साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता और पद्मभूषण सहित अनेक पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिले। भारत सरकार द्वारा 2005 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किये गये। उसी वर्ष 25 अक्तूबर को नई दिल्ली में देहावसान। 

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