Gandh Gatha-Hard Back

Special Price ₹335.75 Regular Price ₹395.00
15% Off
In stock
SKU
9788183619370
- +
Share:

‘गंध गाथा’ समकालीन हिन्दी साहित्य के अग्रणी कथाकारों में एक मृणाल पाण्डे का नया संग्रह है जिसमें शामिल कहानियाँ देखन और कहन दोनों स्तरों पर न सिर्फ़ हमारे सोच को प्रभावित करती हैं बल्कि मर्म को भी गहरे छूती हैं। ‘गंध गाथा’ की कहानियाँ अपने समय के चाक पर रची गई ऐसी कहानियाँ हैं जिनकी जड़ें बौद्ध और जैन जातक कथाओं के सोतों से भी अपनी नमी हासिल करती हैं, और स्त्री-प्रश्न हो या समाज-सत्ता के अन्य मसले, एक बड़े कैनवस पर एक नए आस्वाद को रचते हैं।  

मृणाल जी के इस संग्रह को पाठक उनके शब्दों में इस तरह भी देख सकते हैं—‘‘हर कथा मेरे लिए कहीं न कहीं टुकड़ा-टुकड़ा मिले जीवन-ज्ञान के बीच सचाई की घनचक्करी तलाश है।...केदारघाटी का हादसा, पार्टीशन की विभीषिका, मनुष्य और पशु के बीच का शब्दहीन प्रेम और बतकही, इनकी बाबत मोटामोटी हम सब जानते हैं। पर इस संकलन की कथाओं में जहाँ, जिस तरह और जिस लिए कुदरत और व्यक्तित्वों के पास-पास सरकने से जो कई तरह के ब्रह्मांड टूटते, मिलते और दूर होते दिखते थे, उनका पीछा मेरे लिए अधिक महत्त्व रखता रहा है। इनमें कई बार जीवन के गहरे लेकिन अनुत्तरित प्रश्नों के छोर पर, जवाब की जो-जो सम्भावनाएँ झिलमिल करती मुझे दिखी हैं, उनका चित्रण सरलीकृत रिपोर्टिंग के परे कहीं अधिक महत्त्व का है।’’

हम कह सकते हैं कि ‘गंध गाथा’ एक ऐसा संग्रह है जिसमें रचित लोक अपनी चिन्ताओं से अवगत तो कराता ही है, अपने चिन्तन से समृद्ध भी करता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 136p
Price ₹395.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Gandh Gatha-Hard Back
Your Rating
Mrinal Pande

Author: Mrinal Pande

मृणाल पाण्डे

मृणाल पाण्डे का जन्म 26 फरवरी, 1946 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया। गन्धर्व महाविद्यालय से संगीत विशारद तथा कॉरकोरन स्कूल ऑफ आर्ट, वाशिंगटन से चित्रकला एवं डिजाइन का विधिवत अध्ययन किया। कई वर्षों तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में आईं। ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘वामा’ तथा ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में समय-समय पर बतौर सम्पादक कार्य किया। स्टार न्यूज और दूरदर्शन के लिए हिन्दी समाचार बुलेटिन का सम्पादन किया। ‘दैनिक हिन्दुस्तान’, ‘कादम्बिनी’ एवं ‘नन्दन’ की प्रधान सम्पादक रहीं। प्रसार भारती की चेयरमैन भी रहीं। फिलहाल ‘नेशनल हेरल्ड समूह’ की वरिष्ठ सलाहकार हैं।

उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘सहेला रे’, ‘विरुद्ध’, ‘पटरंगपुर पुराण’, ‘देवी’, ‘हमका दियो परदेस’, ‘अपनी गवाही’ (उपन्यास); ‘दरम्यान’, ‘शब्दवेधी’, ‘एक नीच ट्रैजिडी’, ‘एक स्त्री का विदागीत’, ‘यानी कि एक बात थी’, ‘बचुली चौकीदारिन की कढ़ी’, ‘चार दिन की जवानी तेरी’, ‘माया ने घुमायो’, (कहानी-संग्रह); ‘ध्वनियों के आलोक में स्त्री’ (संगीत); ‘मौजूदा हालात को देखते हुए’, ‘जो राम रचि राखा’, ‘आदमी जो मछुआरा नहीं था’, ‘चोर निकल के भागा’, ‘सम्पूर्ण नाटक’ और देवकीनन्दन खत्री के उपन्यास ‘काजर की कोठरी’ का इसी नाम से नाट्य-रूपान्तरण (नाटक); ‘स्त्री : देह की राजनीति से देश की राजनीति तक’, ‘स्त्री : लम्बा सफर’, ‘जहाँ औरतें गढ़ी जाती हैं’ (निबन्ध); ‘बन्द गलियों के विरुद्ध’ (सम्पादन); ‘ओ उब्बीरी’ (स्वास्थ्य); मराठी की अमर कृति ‘मांझा प्रवास : उन्नीसवीं सदी’ तथा अमृतलाल नागर की हिन्दी कृति ‘गदर के फूल’ का अंग्रेजी में अनुवाद। अंग्रेजी—‘द सब्जेक्ट इज वूमन’ (महिला-विषयक लेखों का संकलन); ‘द डॉटर्स डॉटर’, ‘माई ओन विटनेस’ (उपन्यास); ‘देवी’ (उपन्यास-रिपोर्ताज); ‘स्टेपिंग आउट : लाइफ एंड सेक्सुअलिटी इन रूरल इंडिया’।

ई-मेल : mrinal.pande@gmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top