O Ubbiri : Bhartiya Stree Ka Prajanan Evam Yaun Jivan

Author: Mrinal Pande
As low as ₹359.10 Regular Price ₹399.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
O Ubbiri : Bhartiya Stree Ka Prajanan Evam Yaun Jivan
- +

भारत में बारह में से ग्यारह गर्भपात ग़ैरक़ानूनी होते हैं, सन् 2001 की जनगणना के अनुसार देश के सबसे शिक्षित और सम्पन्न राज्यों में, प्रति हज़ार पुरुषों के मुक़ाबले स्त्रियों की संख्या में, ख़ासकर 0–5 के आयु वर्ग में, काफ़ी गिरावट आई है; और, भारतीय परम्पराएँ जहाँ प्रजनन और मातृत्व को पवित्र करार देती हैं, वहीं भारत सरकार की नीतियाँ और स्वास्थ्य सेवाओं का ज़ोर प्रजनन को नियंत्रित करने पर है।

ये विरोधाभास वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मृणाल पाण्डे के सामने तब आए जब वे भारतीय स्त्री के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए अपनी यात्रा पर निकलीं। अपने सफ़र में जल्द ही उन्हें मालूम हो गया कि यह सिर्फ़ भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और प्रजनन स्वास्थ्य के इतिहास का दस्तावेज़ीकरण भर नहीं है, बल्कि एक व्यापक यथार्थ का सामना करना है। स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत करने के लिए आर्इं महिलाओं से उनके अपने जीवन और शरीर के बारे में सुनकर उन्हें कुछ बड़ी वास्तविकताओं का बोध हुआ।

नतीजा है स्त्रियों के जीवन के विवरणों से रची हुई यह कृति, जो हमें बताती है कि स्त्रियाँ अपने वातावरण से कैसे प्रभावित होती हैं, औरत और मर्द की सेक्सुअलिटी को लेकर उनकी धारणाएँ क्या हैं; इसके अलावा गर्भधारण के रहस्य, जन्म देने के सुख, बाँझपन के भय, ग़ैरक़ानूनी गर्भपात और किशोरियों की सूनी दुनिया—इन सबके ब्यौरों से यह पुस्तक बुनी गई है।

मृणाल पाण्डे ने इस पुस्तक में जनसंख्या नीति और जनकल्याण में राज्य की भूमिका जैसे मुद्दों पर भी विमर्श किया है। और इस सबके बीच वे उन स्वयंसेवी संगठनों में अपना गहन विश्वास भी व्यक्त करती हैं, जिनकी कोशिशों के चलते स्त्रियाँ अपने जीवन की अँधेरी गलियों और ख़ामोशियों से बाहर आ रही हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2003
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 280p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:O Ubbiri : Bhartiya Stree Ka Prajanan Evam Yaun Jivan
Your Rating
Mrinal Pande

Author: Mrinal Pande

मृणाल पाण्डे

मृणाल पाण्डे का जन्म 26 फरवरी, 1946 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया। गन्धर्व महाविद्यालय से संगीत विशारद तथा कॉरकोरन स्कूल ऑफ आर्ट, वाशिंगटन से चित्रकला एवं डिजाइन का विधिवत अध्ययन किया। कई वर्षों तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में आईं। ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘वामा’ तथा ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में समय-समय पर बतौर सम्पादक कार्य किया। स्टार न्यूज और दूरदर्शन के लिए हिन्दी समाचार बुलेटिन का सम्पादन किया। ‘दैनिक हिन्दुस्तान’, ‘कादम्बिनी’ एवं ‘नन्दन’ की प्रधान सम्पादक रहीं। प्रसार भारती की चेयरमैन भी रहीं। फिलहाल ‘नेशनल हेरल्ड समूह’ की वरिष्ठ सलाहकार हैं।

उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘सहेला रे’, ‘विरुद्ध’, ‘पटरंगपुर पुराण’, ‘देवी’, ‘हमका दियो परदेस’, ‘अपनी गवाही’ (उपन्यास); ‘दरम्यान’, ‘शब्दवेधी’, ‘एक नीच ट्रैजिडी’, ‘एक स्त्री का विदागीत’, ‘यानी कि एक बात थी’, ‘बचुली चौकीदारिन की कढ़ी’, ‘चार दिन की जवानी तेरी’, ‘माया ने घुमायो’, (कहानी-संग्रह); ‘ध्वनियों के आलोक में स्त्री’ (संगीत); ‘मौजूदा हालात को देखते हुए’, ‘जो राम रचि राखा’, ‘आदमी जो मछुआरा नहीं था’, ‘चोर निकल के भागा’, ‘सम्पूर्ण नाटक’ और देवकीनन्दन खत्री के उपन्यास ‘काजर की कोठरी’ का इसी नाम से नाट्य-रूपान्तरण (नाटक); ‘स्त्री : देह की राजनीति से देश की राजनीति तक’, ‘स्त्री : लम्बा सफर’, ‘जहाँ औरतें गढ़ी जाती हैं’ (निबन्ध); ‘बन्द गलियों के विरुद्ध’ (सम्पादन); ‘ओ उब्बीरी’ (स्वास्थ्य); मराठी की अमर कृति ‘मांझा प्रवास : उन्नीसवीं सदी’ तथा अमृतलाल नागर की हिन्दी कृति ‘गदर के फूल’ का अंग्रेजी में अनुवाद। अंग्रेजी—‘द सब्जेक्ट इज वूमन’ (महिला-विषयक लेखों का संकलन); ‘द डॉटर्स डॉटर’, ‘माई ओन विटनेस’ (उपन्यास); ‘देवी’ (उपन्यास-रिपोर्ताज); ‘स्टेपिंग आउट : लाइफ एंड सेक्सुअलिटी इन रूरल इंडिया’।

ई-मेल : mrinal.pande@gmail.com

Read More
Books by this Author
Back to Top