Dukh Chitthirasa Hai

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Author: Ashok Vajpeyi
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Dukh Chitthirasa Hai
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पिछली अधसदी से अधिक समय से कविता लिख रहे अशोक वाजपेयी ने अपनी कविता में जो जगह बनाई है, वह अब अधिक अनुभव-समृद्ध, आत्ममंथनकारी और नये ढंग से बेचैन है। उल्लास का उजाला और अवसाद की छाया उसे एक ऐसी रंगत देती है जो आज की कविता में प्रायः दुर्लभ है।

जीवनासक्ति और प्रश्नांकन की उनकी परम्परा इस संग्रह में नई सघनता और उत्कटता के साथ चरितार्थ हुई है। उनकी काव्यभाषा का परिसर अन्तर्ध्वनित भी है और बहिर्मुख भी। सामाजिक को निजी और निजी को सामाजिक मानने पर लगातार इसरार करनेवाले इस सयाने कवि का विवेक इस द्वैत को लाँघकर अब ऐसे मुक़ाम पर है जहाँ कविता अनुभव और विचार एक साथ है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Editorial Review

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Ashok Vajpeyi

Author: Ashok Vajpeyi

अशोक वाजपेयी

जन्म : 16 जनवरी, 1941, दुर्ग (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : सागर विश्वविद्यालय से बी.ए. और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेज़ी में एम.ए.।

कृतियाँ : ‘शहर अब भी संभावना है’, ‘एक पतंग अनंत में’, ‘अगर इतने से’, ‘कहीं नहीं वहीं’, ‘समय के पास समय’, ‘इबारत से गिरी मात्राएँ’, ‘दुख चिट्ठीरसा है’, ‘कहीं कोई दरवाज़ा’, ‘तत्पुरुष’, ‘बहुरि अकेला’, ‘थोड़ी-सी जगह’, ‘घास में दुबका आकाश’, ‘आविन्यों’, ‘जो नहीं है’, ‘अभी कुछ और’, ‘नक्षत्रहीन समय में’, ‘कम से कम’ प्रमुख संग्रहों में हैं। कविता के अलावा आलोचना की ‘फिलहाल’, ‘कुछ पूर्वग्रह’, ‘समय से बाहर’, ‘सीढिय़ाँ शुरू हो गई हैं’, ‘कविता का गल्प’, ‘कवि कह गया है’, ‘कविता के तीन दरवाज़े’आदि कृतियाँ प्रकाशित।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कविशेखर सम्मान’ और ‘कबीर सम्मान’ के अलावा फ़्रेंच सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स—2005’ और पोलिश सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ क्रास—2004’ सम्मान।

वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में साढ़े तीन दशक, भारत भवन न्यास के सचिव और अध्यक्ष, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्थापक-कुलपति, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इन दिनों दिल्ली में रज़ा फ़ाउंडेशन के प्रबन्ध-न्यासी हैं।

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