Pratinidhi Kavitayen : Ashok Vajpeyi

Awarded Books,Representative Poems
Author: Ashok Vajpeyi
Editor: Arvind Tripathi
You Save 20%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Pratinidhi Kavitayen : Ashok Vajpeyi

जन्म और मृत्यु। दो जीवन-सत्य। चूँकि 'मैं' हूँ, इसलिए इनका अस्वीकार भी सम्‍भव नहीं। फिर एक लय, एक सनातन लय-प्रेम की। सराबोर करती जीवन के, मृत्यु के इस अनुभव-पट को। अनुभव, स्पर्श का अनुभव। ऐन्‍द्रिकता का निर्द्वन्‍द्व स्वीकार। यही हैं अशोक वाजपेयी की कविता के मुख्य सरोकार। जड़ और चेतन—सभी ढले हैं उनकी कविताओं में—जो उनकी कविता-गंगा के पाट को दूर, बहुत दूर तक ले गए हैं; जहाँ तक पहुँच पाना या देख पाना, बिना इस गंगा में उतरे सम्‍भव नहीं।

अशोक वाजपेयी जीवन के अनछुए अनुराग, अदेखे अन्‍धकार और अधखिले फूलों के साथ, उन मुरझाए फूलों को भी प्रेम करनेवाले कवि हैं, जिन्हें हम प्राय: नज़रअन्‍दाज़ कर जाते हैं।

विभिन्न संकलनों से ली गई उनकी चुनिन्‍दा कविताओं का यह संग्रह निश्चय ही उनकी काव्य-संवेदना के कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्‍दुओं को रेखांकित करेगा।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1999
Edition Year 2018, Ed. 5th
Pages 134P
Translator Not Selected
Editor Arvind Tripathi
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Pratinidhi Kavitayen : Ashok Vajpeyi
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Ashok Vajpeyi

Author: Ashok Vajpeyi

अशोक वाजपेयी

जन्म : 16 जनवरी, 1941, दुर्ग (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : सागर विश्वविद्यालय से बी.ए. और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेज़ी में एम.ए.।

कृतियाँ : ‘शहर अब भी संभावना है’, ‘एक पतंग अनंत में’, ‘अगर इतने से’, ‘कहीं नहीं वहीं’, ‘समय के पास समय’, ‘इबारत से गिरी मात्राएँ’, ‘दुख चिट्ठीरसा है’, ‘कहीं कोई दरवाज़ा’, ‘तत्पुरुष’, ‘बहुरि अकेला’, ‘थोड़ी-सी जगह’, ‘घास में दुबका आकाश’, ‘आविन्यों’, ‘जो नहीं है’, ‘अभी कुछ और’, ‘नक्षत्रहीन समय में’, ‘कम से कम’ प्रमुख संग्रहों में हैं। कविता के अलावा आलोचना की ‘फिलहाल’, ‘कुछ पूर्वग्रह’, ‘समय से बाहर’, ‘सीढिय़ाँ शुरू हो गई हैं’, ‘कविता का गल्प’, ‘कवि कह गया है’, ‘कविता के तीन दरवाज़े’आदि कृतियाँ प्रकाशित।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कविशेखर सम्मान’ और ‘कबीर सम्मान’ के अलावा फ़्रेंच सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स—2005’ और पोलिश सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ क्रास—2004’ सम्मान।

वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में साढ़े तीन दशक, भारत भवन न्यास के सचिव और अध्यक्ष, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्थापक-कुलपति, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इन दिनों दिल्ली में रज़ा फ़ाउंडेशन के प्रबन्ध-न्यासी हैं।

Read More
Books by this Author

Back to Top