Nirmal Verma

Author: Ashok Vajpeyi
Edition: 2017, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Nirmal Verma

यह पुस्‍तक ‘पूर्वग्रह’ में प्रकाशित निबन्‍धों और अन्‍य सामग्री का एक संचयन है। इसमें वरिष्‍ठ और युवा हिन्‍दी आलोचकों के अलावा दार्शनिक, समाजशास्‍त्री, और इतिहासकार द्वारा भी निर्मल वर्मा के साहित्‍य का विश्‍लेषण और विचार शामिल है, जो कि हिन्‍दी में यदा-कदा ही सम्‍भव हो पाया है।

इस पुस्‍तक में चौदह लेखक एकाग्र हैं एक लेखक या उसकी किसी कृति पर। आप पाएँगे कि हालाँकि उनमें गम्‍भरता और ज़ि‍म्‍मेदारी का सहकार है, हरेक अपने ढंग से हमारे युग के एक मूर्धन्‍य लेखक या उसकी किसी कृति या अवधारणा को देख-परख रहा है और इस साक्षात्‍कार या मुठभेड़ से कुछ अर्थपूर्ण और विचारोत्‍तेजक हमारे लिए पा रहा है।

—अशोक वाजपेयी 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1990
Edition Year 2017, Ed. 2nd
Pages 256P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Ashok Vajpeyi

Author: Ashok Vajpeyi

अशोक वाजपेयी

जन्म : 16 जनवरी, 1941, दुर्ग (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : सागर विश्वविद्यालय से बी.ए. और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेज़ी में एम.ए.।

कृतियाँ : ‘शहर अब भी संभावना है’, ‘एक पतंग अनंत में’, ‘अगर इतने से’, ‘कहीं नहीं वहीं’, ‘समय के पास समय’, ‘इबारत से गिरी मात्राएँ’, ‘दुख चिट्ठीरसा है’, ‘कहीं कोई दरवाज़ा’, ‘तत्पुरुष’, ‘बहुरि अकेला’, ‘थोड़ी-सी जगह’, ‘घास में दुबका आकाश’, ‘आविन्यों’, ‘जो नहीं है’, ‘अभी कुछ और’, ‘नक्षत्रहीन समय में’, ‘कम से कम’ प्रमुख संग्रहों में हैं। कविता के अलावा आलोचना की ‘फिलहाल’, ‘कुछ पूर्वग्रह’, ‘समय से बाहर’, ‘सीढिय़ाँ शुरू हो गई हैं’, ‘कविता का गल्प’, ‘कवि कह गया है’, ‘कविता के तीन दरवाज़े’आदि कृतियाँ प्रकाशित।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कविशेखर सम्मान’ और ‘कबीर सम्मान’ के अलावा फ़्रेंच सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स—2005’ और पोलिश सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ क्रास—2004’ सम्मान।

वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में साढ़े तीन दशक, भारत भवन न्यास के सचिव और अध्यक्ष, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्थापक-कुलपति, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इन दिनों दिल्ली में रज़ा फ़ाउंडेशन के प्रबन्ध-न्यासी हैं।

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