Darshan Pradarshan-Hard Cover

ISBN: 9788126704095
Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹505.75 Regular Price ₹595.00
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9788126704095
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भरत के नाट्यशास्त्र से लेकर ‘आषाढ़ का एक दिन’ तक फैले दो-ढाई हज़ार वर्षों के बीच भारतीय रंगमंच में जो चिन्तन और दर्शन विकसित हुआ है, उसे समकालीन रंगकर्म के साथ जोड़कर विवेचित-विश्लेषित करनेवाली कृति है : ‘दर्शन प्रदर्शन’।

इसमें जहाँ एक ओर शास्त्र, सिद्धान्त, अभिनय, आलेख और शैली को आधार बनाकर एक नए रंगदर्शन को रचने की कोशिश है, तो दूसरी ओर अलग-अलग समय पर लिखे और मंचित तीन प्रतिनिधि नाटकों के बहाने से उस नए रंगदर्शन की व्यावहारिकता को भी जाँचने-परखने का प्रयास किया गया है। इसी के साथ बीसवीं शताब्दी के हिन्दी रंगमंच, नाट्यालोचना और इन दोनों के भीतर से उभरते इक्कीसवीं शताब्दी के रंगमंच की भावी दिशाओं और सम्भावनाओं पर भी गम्भीर विमर्श किया गया है। अपने समय के सबसे ज़्यादा चर्चित और विवादास्पद दो रंग-निर्देशकों के साथ लम्बी बातचीत इस पुस्तक को एक सार्थक परिणति प्रदान करती है।

रंगमंच के पाठकों, दर्शकों, समीक्षकों और अध्येताओं के लिए समान रूप से अनिवार्य और अपरिहार्य रचना है : ‘दर्शन प्रदर्शन’।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 163p
Price ₹595.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Devendra Raj Ankur

Author: Devendra Raj Ankur

देवेन्द्र राज अंकुर

 

दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य-कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नई दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य-प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारतीय शास्त्रीय नाटक और सौन्दर्यशास्त्र के सहायक प्राध्यापक। ‘सम्भव’, नई दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के साथ आधुनिक भारतीय रंगमंच में एक बिलकुल नई विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। विभिन्न शौकिया और व्यावसायिक रंगमंडलियों के साथ पूरे भारत और विदेशों में 400 से अधिक कहानियों, 16 उपन्यासों और 60 नाटकों की प्रस्तुति।

 

बांग्ला, उड़िया, कन्नड़, पंजाबी, कुमाऊँनी, तमिल, तेलगू, मलयालम, अंग्रेज़ी, धीवेही, सिंहली और रूसी भाषाओं में रंगकर्म का अनुभव। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा विभिन्न शहरों में संचालित गहन रंगमंच कार्यशालाओं में विशेषज्ञ, निर्देशक तथा शिविर और कार्यशाला निर्देशक के रूप में सम्बद्ध। देश के विभिन्न रंगमंच संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अतिथि परीक्षक। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की सभी प्रमुख पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में स्वतंत्र रूप से अभिनय, आधुनिक भारतीय नाटक, रंग स्थापत्य, प्रस्तुति प्रक्रिया, दृश्य सज्जा और रंगभाषण के अध्यापन का भी अनुभव। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, क्षेत्रीय अनुसंधान व संसाधन केन्द्र, बंगलौर के निदेशक।

 

हांगकांग, चीन, डेनमार्क, श्रीलंका, मालदीव, रूस, नेपाल, फ्रांस, मॉरीशस, बांग्लादेश, जापान, सिंगापुर, थाइलैंड, इटली, यू.के., पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन।

 

प्रमुख कृतियाँ : ‘पहला रंग’, ‘रंग कोलाज’, ‘दर्शन-प्रदर्शन’, ‘अन्तरंग बहिरंग’, ‘रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र’, ‘पढ़ते सुनते देखते’ आदि।

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