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Computer Ki Medha

Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Computer Ki Medha

भविष्य में, यह महत्त्वपूर्ण होगा कि हम एआई के विकास और उपयोग को ऐसे ढंग से नियंत्रित करें जो इनसानी कौशल और रचनात्मकता को बढ़ावा दे, न कि उसे प्रतिस्थापित करे। —AI चैटबॉट

 

कम्प्यूटर की मेधा पुस्तक कृत्रिम बुद्धि की बहस को आगे ले जाती है। इस पुस्तक में पहली बार कृत्रिम मेधा की चर्चा की गयी है जो भविष्य की सम्भावना को दिखाती है। यह कृत्रिम बुद्धि के द्वारा भाषा के क्षेत्र में होने वाले क्रान्तिकारी बदलाव को यह पुस्तक सामने लाती है। ‘कम्प्यूटर की मेधा’ न केवल भाषा प्रौद्योगिकी के लोगों के लिए उपयोगी है, वरन् मानविकी एवं समाज-विज्ञान के विद्वानों एवं चिन्तकों को इस नवाचार और नवोन्मेष के प्रति सोचने हेतु भी विवश करती है। कॉपीराइट और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को कृत्रिम बुद्धि के द्वारा मिलने वाली चुनौती के विविध आयामों को भी इसमें प्रायोगिक रूप से दिखाया गया है।

 

योगेन्द्र प्रताप सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के हिन्दी एवं भारतीय भाषा विभाग में प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन व सम्पादन किया है जिनमें प्रमुख हैं—बात बने, न बने, संचार माध्यम बनाम साहित्य, मीडिया और साहित्य, वैश्वीकरण और हिन्दी, भारतीय राष्ट्रीयता एवं सन्त-परम्परा, प्रयोजनमूलक हिन्दी, काव्यशास्त्र एवं साहित्यालोचन, नई कहानी, आधुनिक हिन्दी कहानी, हिन्दी निबन्ध एवं अन्य गद्य विधाएँ, एकांकी सप्तक, कहानी सप्तक। उन्होंने आधुनिक हिन्दी भाषा एवं साहित्य में सर्वेक्षणात्मक शोध-अध्ययन की पहल की। 1975 से 2000 तक के हिन्दी साहित्य का सर्वेक्षण (वृहत् शोध-परियोजना, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग), लॉकडाउन के दौरान साहित्यिक अभिरुचि का सर्वेक्षण किया। काव्यभाषा का भी सर्वेक्षण। वे भारतीय हिन्दी परिषद, प्रयागराज के प्रधानमंत्री; मानव संसाधन मंत्रालय एवं संसदीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व राजभाषा सलाहकार और प्रथम राष्ट्रीय हिन्दी विज्ञान लेखक सम्मेलन, लखनऊ (2018) के संयोजक रहे हैं। 2000 से 2001 तक संस्कृति विभाग, भारत सरकार के कनिष्ठ फेलो रहे। फिलहाल मानविकी एवं समाजविज्ञान के अन्तर्विषयी शोध पर आधारित अर्द्धवा​र्षिक अन्तरराष्ट्रीय शोध जर्नल ‘शोध-संचयन’ के प्रधान सम्पादक है। उन्हें ‘मदन मोहन मालवीय सम्मान’, ‘वैश्वीकरण एवं हिन्दी’ पुस्तक पर हिन्दुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज के​​ ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान-2018’, ‘उत्तर प्रदेश भाषा मित्र सम्मान-2018’, ‘आचार्य क्षेमेन्द्र मनीषी साहित्य सम्मान’, ‘पं. प्रतापनारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान-1999’ से सम्मानित किया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 288p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Yogendra Pratap Singh

Author: Yogendra Pratap Singh

योगेन्द्र प्रताप सिंह

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर तथा अध्यक्ष रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्राचार संस्थान में निदेशक, हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद में अध्यक्ष तथा भारतीय हिन्दी परिषद, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यक्ष रहे।

प्रमुख कृतियाँ : ‘हिन्दी वैष्णव भक्तिकाव्य में निहित काव्यादर्श एवं काव्यशास्त्रीय सिद्धान्त’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र की रूपरेखा’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र और पाश्चात्य काव्यशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन’, ‘भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र तथा हिन्दी आलोचना’, ‘काव्यांग परिचय’, ‘रामचरितमानस के रचनाशिल्प का विश्लेषण’, ‘तुलसी के रचना सामर्थ्य का विवेचन’, ‘तुलसी : रचना सन्दर्भ का वैविध्य’, ‘गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा’, ‘कबीर की कविता’, ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल’, ‘निबन्ध संरचना और काव्य-चिन्तन’, ‘कबीर सूर तुलसी’, ‘इतिहास दर्शन एवं हिन्दी साहित्य की समस्याएँ’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका’, ‘सर्जन और रसास्वादन : भारतीय पक्ष’, ‘हिन्दी आलोचना : सिद्धान्त और इतिहास’, ‘जन-जन के कवि तुलसीदास’, ‘हिन्दी साहित्य के इतिहास की समस्याएँ’, ‘काव्यभाषा भारतीय पक्ष’, ‘हिन्दी काव्यशास्त्र के मूलाधार’ (आलोचना); ‘गीति अर्धशती’ (गीतिकाव्य); ‘बीती शती के नाम’, ‘उर्वशी’ (गाथा-गीति); ‘गाधि पुत्र’, ‘सागर गाथा’ (नाट्य-काव्य); ‘टूटते गाँव बनते रिश्ते’, ‘देवकी का आठवाँ बेटा’, ‘पहला क़दम’, ‘अंधी गली की रोशनी’ (उपन्यास); ‘श्रीरामचरितमानस’ (सम्पूर्ण), ‘बालकांड’, ‘अयोध्याकांड’, ‘सुन्दरकांड’, ‘लंकाकांड’, ‘उत्तरकांड’, ‘विनयपत्रिका’, ‘कवितावली’ (समग्र सम्पादन-टीका तथा भूमिका सहित), ‘जोरावर प्रकाश’, ‘कृष्ण चन्द्रिका’, ‘करुणाभरण नाटक’ (प्राचीन हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर), ‘घट रामायण तुलसी साहब हाथरस वाले’, ‘प्रयाग की रामलीला’, ‘भारतीय भाषाओं में रामकथा’, ‘Ramkatha in Indian Languages’, ‘रामसाहित्य कोश’—दो खंडों में—‘हिन्दी साहित्य’, भाग-3, ‘हिन्दी साहित्य कोश’ भाग-1 तथा 2, ‘काव्यभाषा : भारतीय पक्ष’, ‘काव्य भाषा : अलंकार रचना तथा अन्य समस्याएँ’—(संयुक्त लेखन)।

कई पत्रिकाओं का सम्पादन—‘अनुसंधान’, ‘विकल्प’, ‘हिन्दी अनुशीलन’ तथा ‘हिन्दुस्तानी’।

निधन : 18 मई, 2020

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