यह पुस्तक अयोध्या शोध संस्थान की शोध-पत्रिका ‘साक्षी’ के प्रकाशित विशेषांक ‘भारतीय भाषाओं में रामकथा' का ‘साक्षी' पुस्तकाकार रूप है। एक शोध विशेषांक को पुस्तकाकृति का स्वरूप प्रदान करना स्वयं में सांस्कृतिक महत्त्व तथा भारतीय गौरवबोध की संकल्पना का प्रतीक है।
राम राष्ट्रीय संस्कृति के प्रतीक पुरुष हैं। अन्तरराष्ट्रीय मानवता के प्रतीक पुरुष राम सुमात्रा, जावा, कम्बोडिया, वर्मा, लंका, नेपाल, बोर्नियो आदि-आदि कितने देशों में स्वीकृत मानवतावादी चेतना के साक्ष्य हैं। देश की समस्त लोकभाषाओं में रामकथा 10वीं सदी से व्याप्त दिखाई पड़ती है। तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, सिंधी, कश्मीरी, पहाड़ी, पंजाबी, असमिया, बांग्ला, ओड़िया, हिन्दी आदि समस्त भाषा-रूपों में यह रामकथा कितनी आत्मीयतापूर्वक लोकग्राह्य रही है, इसका उदाहरण यह कृति है। इस प्रकार, यह कृति राममयी भारतीय चेतना की राष्ट्रीय अस्मिता का वह साक्ष्य है, जिसके माध्यम से हम समग्र भारतीय राग-द्वेष त्यागकर महामानवतावाद के विशाल मंच पर एक साथ खड़े दिखाई पड़ते हैं और यहाँ न जाति है, न धर्म-संकीर्णता है, न राजनीतिक असहिष्णुता है और न ऊँच-नीच का भेदभाव है। समत्व एवं मानवीयता इस संस्कृति का प्राणवान तत्त्व है। यही भारतीय राष्ट्रीय चेतना का भी सारतत्त्व है।
इस कृति का मुख्य लक्ष्य भारतीय राष्ट्रीय चेतना के इसी प्राणवान तत्त्व को उजागर करना है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2009 |
Edition Year | 2024, Ed. 2nd |
Pages | 220p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 16 X 1.5 |