Cinema Aur Sansar-Paper Back

Author: Udayan Vajpeyi
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ISBN:9789389598797
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ऋत्विक घटक और सत्यजीत राय के बाद कुमार शहानी और मणि कौल सम्भवतः देश के सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण फ़िल्मकार रहे हैं। इनकी फ़िल्मों ने न सिर्फ़ हमारे फ़िल्म के देखने में बुनियादी बदलाव लाया है बल्कि इन फ़िल्मों की रोशनी में हम वास्तविकता और स्वयं अपने आप को भी कुछ और तरह से ही अनुभव करने के रास्ते खोज सके हैं या खोज सकते हैं। कुमार ने जो भी फ़िल्म बनायी है वह अपनी तरह की ‘क्लासिक’ है। उनकी फ़िल्में दुनियाभर के प्रयोगशील और दृष्टि सम्पन्न फ़िल्मकारों के लिए निरन्तर प्रेरणा का स्रोत रही हैं। यह संयोग नहीं कि कुमार शहानी को विश्व के श्रेष्ठ सिनेमा शिक्षकों में गिना जाता है। कुमार अपनी हर फ़िल्म में फ़िल्म बनाने के नये मार्गों की खोज करते हैं और वे निरन्तर इस खोज के लिए विशेषकर भारतीय प्रदर्शनकारी कलाओं और संगीत आदि की परम्परा को गहरे से गहरे तक समझने और टटोलने का मानो अनवरत प्रयास करते रहते हैं। उनकी फ़िल्में भारतीय और वैश्विक कला परम्परा से संवाद करती हुई आकार ग्रहण करती हैं। कुमार शहानी से बात करना हमेशा हर्षित करता है। वे अपने भीतर दुनिया की तमाम कला परम्पराओं के बहावों को मानो लेकर चलते हैं, चाहे वह ख़याल संगीत हो या मिनिएचर चित्र, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत हो या कुडियाट्टम नृत्य, ध्रुपद संगीत हो या भक्ति कविता या दरवेशों का अपनी धुरी पर लगातार घूमना। वे बात करते-करते कब किसी विशेष संगीत के रूपाकार के किसी दूरस्थ दार्शनिक दृष्टि के लगभग अनदेखे बिन्दु पर जाकर ठहरेंगे, इसका कोई ठिकाना नहीं होता। इसीलिए उनसे बात करना अनिवार्य रूप से गहन कलात्मक और दार्शनिक अनुभव होता है। —प्रस्तावना से

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 107p
Price ₹199.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Udayan Vajpeyi

Author: Udayan Vajpeyi

उदयन वाजपेयी

जन्म : 4 जनवरी, 1960; सागर, मध्य प्रदेश।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘कुछ वाक्य’, ‘पागल गणितज्ञ की कविताएँ’, ‘केवल कुछ वाक्‍य’ (कविता-संग्रह); ‘सुदेशना’, ‘दूर देश की गन्ध’, ‘सातवाँ बटन’, ‘घुड़सवार’ (कहानी-संग्रह); ‘चरखे पर बढ़त’, ‘जनगढ़ क़लम’, ‘पतझर के पाँव की मेंहदी’ (निबन्ध और यात्रा वृत्तान्त); ‘अभेद आकाश’ ( फ़िल्मकार मणि कौल); ‘मति, स्मृति और प्रज्ञा’ (इतिहासकार धर्मपाल), ‘उपन्‍यास का सफ़रनामा’ (शम्‍सुर्रहमान फ़ारूक़ी), ‘विचरण(दार्शनिक नवज्‍योत सिंह), ‘कवि का मार्ग’ (कवि कमलेश), ‘भव्‍यता का रंग-कर्म’ (रंग-निर्देशक रतन थियाम), ‘प्रवास और प्रवास’ (उपन्‍यासकार कृष्‍ण बलदेव वैद); का.ना. पणिक्कर पर ‘थियेटर ऑफ़ रस’ और रतन थियाम पर ‘थियेटर ऑफ ग्रेंजर’; वी आँविजि़ब्ल (फ्रांसीसी में कविताओं के अनुवाद की पुस्तक); ‘मटमैली स्मृति में प्रशान्त समुद्र’ (जापानी कवि शुन्तारो तानीकावा के हिन्दी में अनुवाद); कविताओं, कहानियों और निबन्धों के अनुवाद तमिल, बांग्‍ला, ओड़िया, मलयालम, मराठी, अंग्रेज़ी, फ्राँसीसी, स्वीडिश, पोलिश, इतालवी, बुल्गारियन आदि भाषाओं में। ‘समास’ का सम्‍पादन।

कुमार शहानी की फ़िल्म 'चार अध्याय' और 'विरह भर्यो घर-आँगन कोने में' का लेखन।

कावालम नारायण पणिक्कर की रंगमंडली 'सोपानम्' के लिए ‘उत्तररामचरितम्’, ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ की हिन्दी में पुनर्रचना, पणिक्कर के साथ कालिदास के तीनों नाटकों के आधार पर ‘संगमणियम्’ नाटक का लेखन।

2000 में लेविनी (स्वीट्ज़रलैंड) में और 2002 से पेरिस (फ्रांस) में 'राइटर इन रेसिडेंस', 2011 में नान्त (फ्रांस) में अध्येता के रूप आमंत्रित।

मई 2003 में फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में भारतीय कवि की हैसियत से व्याख्यान। वाराणसी, भुवनेश्वर, पटना, मुम्बई, दिल्ली, पेरिस, मॉस्को, जिनिवा, काठमांडू आदि स्थानों पर कला, साहित्य, सिनेमा, लोकतंत्र आदि विषयों पर व्याख्यान।

‘रज़ा फ़ाउंडेशन’, ‘कृष्ण बलदेव वैद पुरस्कार’ और ‘स्‍पंदन कृति सम्‍मान’ से सम्मानित।

गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में अध्यापन।

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