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Chintamani : Vol. 1-E-Book

ISBN: 9788180317323
Edition: 2021, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹280.00 Regular Price ₹400.00
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9788180317323-ebook

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2012
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 234P
Price ₹400.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Acharya Ramchandra Shukla

Author: Acharya Ramchandra Shukla

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

 

उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में ‘अगौना’ नामक एक गाँव है, जहाँ 1884 ई. में आपका जन्म हुआ था। पिता चन्‍द्रबली शुक्ल मिर्ज़ापुर में क़ानूनगो थे, इसलिए वहीं के जुबली स्कूल में प्रारम्भिक शिक्षा पाई। 1901 में स्कूल की फ़ाइनल परीक्षा पास की। आगे की पढ़ाई इलाहाबाद की कायस्थ पाठशाला में हुई, लेकिन गणित में कमज़ोर होने के कारण एफ़.ए. की परीक्षा पास नहीं कर सके। नौकरी पहले–पहल एक अंग्रेज़ी ऑफ़िस में की, फिर मिशन स्कूल में ड्राइंग–मास्टर हुए। हिन्दी साहित्य के प्रति अनुराग प्रारम्‍भ से था। मित्र–मंडली भी अच्छी मिली, जिसकी प्रेरणा से लेखन–क्रम चल निकला। 1910 ई. तक लेखक के रूप में अच्छी–ख़ासी ख्याति प्राप्त कर ली थी। इसी वर्ष उनकी नियुक्ति ‘हिन्दी शब्दसागर’ में काम करने के लिए ‘नागरी प्रचारिणी सभा’, काशी में हुई। यह कार्य समाप्त होते–न–होते वे काशी हिन्‍दू विश्वविद्यालय में हिन्‍दी प्राध्यापक नियुक्त हुए। वहाँ 1937 ई. में बाबू श्यामसुन्‍दर दास की मृत्यु के बाद हिन्‍दी विभागाध्यक्ष–पद को सुशोभित किया। कोश–निर्माता, इतिहासकार एवं श्रेष्ठ निबन्‍धकार के रूप में सम्मानित हुए; कविता–कहानी और अनुवाद के क्षेत्र में भी दिलचस्पी दिखाई। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं—‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, ‘जायसी ग्रन्थमाला’, ‘तुलसीदास’, ‘सूरदास’, ‘चिन्तामणि’ (भाग : 1–3), ‘रस मीमांसा’ आदि।

2 फरवरी, 1941 को आचार्य शुक्ल का देहावसान हुआ।

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