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Roti Ke Char Harf

Author: Alok Ranjan
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Roti Ke Char Harf

यात्राएँ आलोक रंजन के स्वभाव में पैबस्त हैं। कहानियाँ लिखते हुए भी वे यात्राएँ करते रहते हैं—कभी बाहर की, कभी अन्तर्मन की। सबसे खूबसूरत बात यह है कि इन यात्राओं में वे आपके सहयात्री बन जाते हैं—हाथ पकड़कर चरित्रों, घटनाओं, दृश्यों की यात्राएँ करवाने वाले। जैसा कि एक कहानी में कहते हैं—‘ताकि एक आँख बाहर रहे और दूसरी अन्दर देखती रहे।’ आलोक डिटेलिंग के कथाकार हैं—चरित्रों के अन्तः एवं बाह्य रूप, दृश्यावलियाँ, बदलते घटनाक्रम—यह सब इतने स्वाभाविक और बारीक विवरणों के साथ कि उन पर विश्वास करने की इच्छा जन्म लेने लगती है। अगर आलोक आपको चुपके से दक्षिण भारत की यात्रा पर ले जाते हैं तो यह एक कल्चरल शॉक की तरह नहीं आता बल्कि चरित्र, वातावरण सबके साथ एकाकार होकर आपके अन्दर उतरता है। उनके चरित्र हममें से ही एक मालूम होते हैं—उनकी पीड़ाएँ, उनकी खूबियाँ, उनके शोषण, उनकी कामनाएँ—सब हमारी ही प्रतिछवियाँ हैं।

आलोक की कहानियों में प्रेम की अनुपस्थित उपस्थिति रहती है। कुछ कहानियों में प्रेम है भी और नहीं भी है—मुखर रहते हुए भी मौन है—‘इस दुनिया के किनारे’, ‘जलते सबके मकान’, ‘स्वाँग के बाहर’ आदि कहानियाँ इस आलोक में पढ़ी जा सकती हैं। आलोक भाषाई तरलता का एक ऐसा स्वाभाविक वितान रचते हैं जिसमें हिन्दी, उर्दू, मैथिली, दक्षिण भारतीय भाषाएँ सब घुल-मिलकर एक रूप हो जाती हैं और धीमे-धीमे बहती नदी का रूप धरती रहती हैं। कहानियों की अन्य खूबियों के साथ जो गहरे आकर्षित करती है, वह है आलोक की नुक्ता-ए-नज़र—आलोक की पॉलिटिक्स बिलकुल साफ है, जो उनके पात्रों के चयन से ज़ाहिर हो जाती है—तकरीबन सभी चरित्र निम्नवर्गीय या निम्नमध्यवर्गीय हैं। जी में चीजों को बदलने की बहुत उत्कट इच्छा न भी हो तो समय के साथ, परिस्थितियों के साथ लड़-भिड़कर लहूलुहान हो जाने की सदिच्छा जरूर है।

—पंकज मित्र 

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 114p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Alok Ranjan

Author: Alok Ranjan

आलोक रंजन

आलोक रंजन का जन्म 18 मार्च, 1984 को बिहार के सहरसा में हुआ। शिक्षा-दीक्षा बिहार से लेकर दिल्ली तक। दिल्ली ने ही व्यक्तित्व को ज़रूरी मज़बूती दी। हिन्दी और शिक्षा दोनों ही क्षेत्रों में परास्नातक। छपने की शुरुआत 2004 से हुई। तब से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों और यात्रा सम्बन्धी लेखों का प्रकाशन। दक्षिण भारत की यात्राओं पर केन्द्रित किताब ‘सियाहत’ के लिए इन्हें 2017 के ‘भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया।

सम्प्रति : हिमाचल प्रदेश में अध्यापन।

ई-मेल : alokranjan7@gmail.com

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