महाकवि निराला के विविध निबन्ध, कहानियाँ और उपन्यास हिन्दी-गद्य साहित्य की अनूठी सम्पदा हैं। ‘चयन’ में उनके कुछ महत्त्वपूर्ण निबन्ध संगृहीत हैं। इनमें जहाँ एक ओर ‘भाषा की गति और हिन्दी की शैली', ‘खड़ी बोली के कवि और कविता', ‘साहित्य की समतल भूमि’ जिसे निबन्धों में हिन्दी साहित्य और साहित्य के सार्वभौम मूल्यों
पर विचार हुआ है, वहीं दूसरी ओर ‘कवि अचल’ तथा ‘महाकवि रवीन्द्र की कविता’ नामक निबन्ध अपने से कनिष्ठ और वरिष्ठ रचनाकारों पर निराला की सहज विद्वत्तापूर्ण समालोचना-पद्धति का परिचय कराता है। वस्तुत: यह पूरी पुस्तक निरालायुगीन साहित्यिक माहौल की समीक्षा ही नहीं दस्तावेज़ भी है।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back |
Edition Year | 1998 |
Pages | 168p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |