Asankalit Kavitayen

Poetry
You Save 30%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Asankalit Kavitayen

हिन्दी कविता में युगान्तर उपस्थित करनेवाले कवि महाप्राण निराला के उस काव्य-संसार से गुज़रना जो अब तक अजाना और प्राय: अपठित रहा है, पाठकों के लिए कुछ कम महत्त्वपूर्ण और मुग्‍धकारी नहीं है—कहीं-कहीं विस्मय की हद तक। अपनी कविताओं के जो संग्रह उन्होंने तैयार किए, अनेक कविताएँ उनमें इसलिए शामिल नहीं कीं कि या तो वे प्रारम्‍भिक थीं या फिर कमज़ोर। कुछ कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में छपने के बावबूद गुम गईं और कुछ उनके ही काग़ज़ों के ढेर में गुमनाम बनी रहीं। पर अब ऐसी सभी कविताएँ इस संग्रह में हैं।

इनके अतिरिक्त इस संकलन में जहाँ निराला की पहली प्रकाशित कविता ‘जन्मभूमि’ है, वहीं आचार्य रामचन्द शुक्‍ल और बापू के प्रति लिखी गई व्यंग्य रचनाएँ भी हैं। परिशिष्ट में उनकी बहुचर्चित कविता ‘जुही की कली’ का आदि-रूप सुरक्षित किया गया है, जिससे उनकी रचना-प्रक्रिया को समझने में भी मदद मिलती है।

इसलिए निराला की कविताओं का यह संकलन कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है—ख़ासकर, संकलनकर्ता डॉ. नन्दकिशोर नवल के शब्दों में कहें तो, ‘इसमें संकलित कविताएँ निराला के कवि-जीवन के आरम्भ और विकास दोनों को ही समझने की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी हैं’ और ‘इन कविताओं में से अनेक में हमें उनकी उत्कृष्ट काव्य-कला के दर्शन होते हैं।’

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 1998
Pages 94p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Asankalit Kavitayen
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Suryakant Tripathi 'Nirala'

Author: Suryakant Tripathi 'Nirala'

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

निराला का जन्म वसन्त पंचमी, 1896 को बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले के महिषादल नामक देशी राज्य में हुआ। निवास उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़ि‍ले के गढ़ा कोला गाँव में। शिक्षा हाईस्कूल तक ही हो पाई। हिन्दी, बांग्ला, अंग्रेज़ी और संस्कृत का ज्ञान उन्होंने अपने अध्यवसाय से स्वतंत्र रूप में अर्जित किया।

प्राय: 1918 से 1922 ई. तक निराला महिषादल राज्य की सेवा में रहे, उसके बाद से सम्पादन, स्वतंत्र लेखन और अनुवाद-कार्य। 1922-23 ई. में समन्वय’ (कोलकाता) का सम्पादन। 1923 ई. के अगस्त से मतवालामंडल में। कलकत्ता छोड़ा तो लखनऊ आए, जहाँ गंगा पुस्तकमाला कार्यालय और वहाँ से निकलनेवाली मासिक पत्रिका सुधासे 1935 ई. के मध्य तक सम्बद्ध रहे। प्राय: 1940 ई. तक लखनऊ में। 1942-43 ई. से स्थायी रूप से इलाहाबाद में रहकर मृत्यु-पर्यन्त स्वतंत्र लेखन और अनुवाद-कार्य। पहली प्रकाशित
कविता : जन्मभूमि (प्रभा’, मासिक, कानपुर; जून 1920)। पहली प्रकाशित पुस्तक : अनामिका (1923 ई.)।

प्रमुख कृतियाँ : आराधना, गीतिका, अपरा, परिमल, गीतगुंज, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, बेला, अर्चना, नए पत्ते, अणिमा, रागविराग, सांध्य काकली, असंकलित रचनाएँ (कविता-संग्रह); बिल्लेसुर बकरिहा, अप्सरा, अलका, कुल्लीभाट, प्रभावती, निरुपमा, चोटी की पकड़, भक्त ध्रुव, भक्त प्रहलाद, महाराणा प्रताप, भीष्म पितामह, चमेली, काले कारनामे, इन्दुलेखा (अपूर्ण) (उपन्यास); सुकुल की बीवी, लिली, चतुरी चमार, महाभारत, सम्पूर्ण कहानियाँ (कहानी-संग्रह); प्रबन्ध प्रतिमा, प्रबन्ध पद्म, चयन, चाबुक, संग्रह (निबन्ध-संग्रह); दो शरण, निराला संचयन, निराला रचनावली (सम्पूर्ण साहित्य)।

निधन : 15 अक्टूबर, 1961

Read More
Books by this Author

Back to Top