Facebook Pixel

Andhere Band Kamare-Paper Back

Special Price ₹449.10 Regular Price ₹499.00
10% Off
In stock
SKU
9788126707867
- +
Share:
Codicon

वर्तमान भारतीय समाज का अभिजात नागर मन दो हिस्सों में विभाजित है—एक में है पश्चिमी आधुनिकतावाद और दूसरे में वंशानुगत संस्कारवाद। इससे इस वर्ग के भीतर का द्वन्द्व पैदा होता है, उससे पूर्णता के बीच रिक्तता, स्वच्छन्दता के बीच अवरोध और प्रकाश के बीच अन्धकार आ खड़ा होता है। परिणामतः व्यक्ति ऊबने लगता है, भीतर ही भीतर क्रोध, ईर्ष्या और सन्देह जकड़ लेते हैं उसे, अपने ही लिए अजनबी हो उठता है वह, और तब इसे हम हरबंस की शक्ल में पहचानते हैं—हरबंस इस उपन्यास का केन्द्रीय पात्र, जो दाम्पत्य सम्बन्धों की सहज रागात्मकता, ऊष्मा और अर्थवत्ता की तलाश में भटक रहा है। हरबंस और नीलिमा के माध्यम से पारस्परिक ईमानदारी, भावनात्मक लगाव और मानसिक समदृष्टि से रिक्त दाम्पत्य जीवन का यहाँ प्रभावशाली चित्रण हुआ है। अपनी पहचान के लिए पहचानहीन होते जा रहे भारतीय अभिजातवर्ग की भौतिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक महत्त्वाकांक्षाओं के अँधेरे बन्द कमरों को खोलनेवाला यह उपन्यास हिन्दी की विशिष्टतम कथाकृतियों में गण्य है

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1984
Edition Year 2024, Ed. 19th
Pages 392P
Price ₹499.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Andhere Band Kamare-Paper Back
Your Rating
Mohan Rakesh

Author: Mohan Rakesh

मोहन राकेश

‘नई कहानी’ के दौर के अग्रणी रचनाकारों में एक मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को जंडीवाली गली, अमृतसर में हुआ।

शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अंग्रेज़ी में बी.ए., संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्‍धर और दिल्ली में अध्यापन, सम्पादन और स्वतंत्र-लेखन।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘अँधेरे बन्द कमरे’, ‘अन्तराल’, ‘न आने वाला कल’, ‘काँपता हुआ दरिया’ (उपन्यास); ‘आषाढ़ का एक दिन’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’, ‘पैर तले की ज़मीन’ (नाटक); ‘शाकुन्तल’, ‘मृच्छकटिक’ (अनूदित नाटक); ‘अंडे के छिलके : अन्य एकांकी तथा बीज नाटक’, ‘रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक’ (एकांकी); ‘क्वार्टर’, ‘पहचान’, ‘वारिस’, ‘एक घटना’ (कहानी-संग्रह); ‘बक़लम ख़ुद’, ‘परिवेश’ (निबन्ध); ‘आख़िरी चट्टान तक’ (यात्रावृत्त); ‘एकत्र’ (अप्रकाशित-असंकलित रचनाएँ); ‘बिना हाड़-मांस के आदमी’ (बालोपयोगी कहानी-संग्रह) तथा ‘मोहन राकेश रचनावली’ (13 खंड)।

विशेष : फ़िल्म वित्त निगम के निदेशक और फ़िल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य भी रहे।

सम्मान : सर्वश्रेष्ठ नाटक व सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’, ‘नेहरू फ़ेलोशिप’ आदि।

निधन : 3 दिसम्बर, 1972; नई दिल्ली।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top