Natya-Vimarsh

Author: Mohan Rakesh
Editor: Jaidev Taneja
Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Natya-Vimarsh

मोहन राकेश हिन्दी के निरीह-से सामान्य नाटककार भर न होकर ‘थिएटर एक्टीविस्ट’ भी थे। इसीलिए उनके ‘नाट्य-विमर्श’ का दायरा केवल नाटक-लेखन और उससे जुड़े सवालों के शास्त्रीय-सैद्धान्तिक विवेचन-विश्लेषण तक ही सीमित नहीं था। उनकी प्रमुख चिन्ता आधुनिक भारतीय रंग-दृष्टि की तलाश/उपलब्धि और उसके विश्व-स्तरीय विकास की थी।

यही कारण है कि वह एकांकी, रेडियो नाटक, नाट्यानुवाद और हिन्दी नाटक तथा रंगमंच का ऐतिहासिक विकास-क्रम से समग्र विवेचन करने के बाद सीधे ‘नाटककार और रंगमंच’, ‘रंगमंच और शब्द’, ‘शब्द और ध्वनि’ तथा शुद्ध और नाटकीय शब्द की खोज के साथ-साथ रंगकर्म में शब्दों की बदलती भूमिका को रेखांकित करते हैं। यही नहीं, समकालीन हिन्दी रंगकर्म की अनेक व्यावहारिक समस्याओं से जूझने के साथ-साथ राकेश फ़िल्म और टेलीविज़न की लगातार बढ़ती प्रत्यक्ष चुनौतियों के समक्ष रंगमंच के मूल तर्क और भविष्य के बारे में भी गम्भीर चिन्तन-मनन करते हैं।

स्पष्ट है कि राकेश का नाट्य-विमर्श स्वानुभव पर आधारित, गम्भीर, बहुआयामी और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। परन्तु इस विषय से सम्बद्ध राकेश की सारी सामग्री अब तक हिन्दी-अंग्रेज़ी की पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों में लेखों, साक्षात्कारों, टिप्पणियों, प्रतिक्रियाओं, परिसंवादों एवं समीक्षाओं के रूप में इधर-उधर बिखरी होने के कारण सहज उपलब्ध नहीं थी। यहाँ राकेश के नाट्य-विमर्श को, उसकी चिन्तन-प्रक्रिया के विकास-क्रम में, एक साथ प्रकाशित किया गया है। आशा है, यह पुस्तक मोहन राकेश के प्रबुद्ध पाठकों, अध्येताओं और रंगकर्म के साहसी प्रयोक्ताओं, प्रेक्षकों-समीक्षकों के लिए निश्चय ही उपयोगी और सार्थक होगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2003
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 200p
Translator Not Selected
Editor Jaidev Taneja
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.2 X 1.5
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Mohan Rakesh

Author: Mohan Rakesh

मोहन राकेश

‘नई कहानी’ के दौर के अग्रणी रचनाकारों में एक मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को जंडीवाली गली, अमृतसर में हुआ।

शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अंग्रेज़ी में बी.ए., संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्‍धर और दिल्ली में अध्यापन, सम्पादन और स्वतंत्र-लेखन।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘अँधेरे बन्द कमरे’, ‘अन्तराल’, ‘न आने वाला कल’, ‘काँपता हुआ दरिया’ (उपन्यास); ‘आषाढ़ का एक दिन’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’, ‘पैर तले की ज़मीन’ (नाटक); ‘शाकुन्तल’, ‘मृच्छकटिक’ (अनूदित नाटक); ‘अंडे के छिलके : अन्य एकांकी तथा बीज नाटक’, ‘रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक’ (एकांकी); ‘क्वार्टर’, ‘पहचान’, ‘वारिस’, ‘एक घटना’ (कहानी-संग्रह); ‘बक़लम ख़ुद’, ‘परिवेश’ (निबन्ध); ‘आख़िरी चट्टान तक’ (यात्रावृत्त); ‘एकत्र’ (अप्रकाशित-असंकलित रचनाएँ); ‘बिना हाड़-मांस के आदमी’ (बालोपयोगी कहानी-संग्रह) तथा ‘मोहन राकेश रचनावली’ (13 खंड)।

विशेष : फ़िल्म वित्त निगम के निदेशक और फ़िल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य भी रहे।

सम्मान : सर्वश्रेष्ठ नाटक व सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’, ‘नेहरू फ़ेलोशिप’ आदि।

निधन : 3 दिसम्बर, 1972; नई दिल्ली।

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