Purvabhyas

कथाकार-नाटककार मोहन राकेश के बारह आरम्भिक एकांकियों के प्रारूपों का संग्रह है ‘पूर्वाभ्यास’। इसमें संकलित एकांकी मोहन राकेश के सिद्ध नाटककार बनने के पूर्व की रचनाएँ हैं। इनमें हमें नाटककार की रचना एवं संशोधन-प्रक्रिया का पता लगने के साथ-साथ उसकी रंग एवं ध्वनि माध्यमों की गहरी समझ का प्रमाण भी मिलता है।
ये एकांकी न केवल हमें एक ऐतिहासिक दौर का ही साक्षात्कार कराते हैं, अपितु स्वयं नाटककार मोहन राकेश के प्रारम्भ-बिन्दु से लेकर अन्तिम समय तक की उनकी रंग-दृष्टि, विकास-यात्रा और ‘ग्रोथ’ को जानने-समझने का प्रामाणिक आधार भी प्रस्तुत करते हैं। इस लिहाज़ से ये सब एकांकी दस्तावेज़ी महत्त्व के हैं और मोहन राकेश के नाट्य-प्रेमियों, प्रबुद्ध पाठकों, आलोचकों, इतिहासकारों तथा शोधार्थियों की सम्पत्ति हैं।
इन सभी रचनाओं में विषय, चरित्र, परिवेश एवं शिल्पगत प्रयोगों का रोचक वैविध्य है।
आशा है यह पुस्तक मोहन राकेश की रंगयात्रा के गम्भीर अध्येताओं, हिन्दी एकांकी के उद्भव एवं विकास के अनुसन्धाताओं, स्कूल-कॉलेज के छात्र-कलाकारों तथा शौकिया नाट्य-मंडलियों के उत्साही रंगकर्मियों के लिए रोचक और उपयोगी सिद्ध होगी।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back |
Publication Year | 2008 |
Edition Year | 2022, Ed. 2nd |
Pages | 176p |
Translator | Not Selected |
Editor | Jaidev Taneja |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.3 |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here