Allamprabhu : Pratibha Ka Shikhar

Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Allamprabhu : Pratibha Ka Shikhar
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अज्ञान रूपी पालने में

ज्ञान रूपी शिशु सुलाकर

सकल वेदशास्त्र रूपी रस्सी से बाँधकर झूला,

झुलाती हुई पालने

लोरी गा रही है, भ्रान्ति रूपी माई!

जब तक पालना न टूटे, रस्सी न कटे

लोरी बन्द न हो

तब तक गुहेश्वर लिंग के दर्शन नहीं होंगे॥

अल्लम सृजनशीलता के प्रति विश्वास रखते हैं कि ‘नि:शब्द ज्ञान क्या शब्दों की साधना से सम्भव है?’

बहती नदी को देह भर पाँव

जलती आग को देह भर जिह्वा

बहती हवा को देह भर हाथ

अतः गुहेश्वर, तेरे शरण का सर्वांग लिंगमय है॥

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 116p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Kashinath Ambalge

Author: Kashinath Ambalge

प्रो. काशीनाथ अंबलगे

आपका जन्म 10 जुलाई, 1947 को मुचलम, बसवकल्याण तालुका, ज़ि‍ला बीदर, कर्नाटक में हुआ।

आपने एम.ए. हिन्दी और कन्नड़ से किया और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वर्षों गुलबर्गा विश्वविद्यालय में अध्यापन। फ़िलहाल सेवानिवृत्त।

आपकी कन्नड़ और हिन्दी में कविता, विमर्श, कन्नड़ वचन साहित्य आदि से सम्बन्धित दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित। पंजाबी, गुजराती, बांग्ला (हिन्दी द्वारा) और हिन्दी की कई पुस्तकों का कन्नड़ में अनुवाद।

आप ‘महात्मा गांधी हिन्दी पुरस्कार’, ‘कमला गोयनका अनुवाद पुरस्कार’, ‘अम्म पुस्तक पुरस्कार’, ‘गौरव पुरस्कार’ आदि पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।

 

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