Aaydakki Marayya-Aaydakki Lakkamma

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Aaydakki Marayya-Aaydakki Lakkamma
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अहंकार की भक्ति से धन का नाश

क्रियाहीन बातों से ज्ञान का नाश

दान दिए बिना दानी कहलाना केश बिना शृंगार जैसा

दृढ़ताहीन भक्ति तलहीन कुंभ में पूजा जल भरने जैसी

मारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को यह न छूनेवाली भक्ति है॥

कायक की कमाई समझ भक्त दान की कमाई से

दासोह कर सकते हैं कभी?

इक मन से लाकर इक मन से ही

मन बदलने से पहले ही

मारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को

समर्पित करना चाहिए मारय्या॥

जो मन से शुद्ध नहीं, उसमें धन की ग़रीबी हो सकती है,

चित्त शुद्धि से कायक करनेवाले

सद्भक्तों को तो जहाँ देखो वहाँ लक्ष्मी अपने आप मिलेगी

मारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग की सेवा में लगे रहने तक॥

—लक्कमा

कायक में मग्न हो तो

गुरुदर्शन को भी भूलना चाहिए।

लिंग पूजा को भी भूलना चाहिए।

जंगम सामने होने पर भी उसके दाक्षिण्य में न पड़ना चाहिए।

कायक ही कैलास होने के कारण

अमरेश्वरलिंग को भी कायक करना है॥

—मारय्या

दो नयनों की भक्ति एक दृष्टि में देखने की तरह सती-पति एक भक्ति में देखने से गुहेश्वर को भक्ति स्वीकार है।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 80p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Kashinath Ambalge

Author: Kashinath Ambalge

प्रो. काशीनाथ अंबलगे

आपका जन्म 10 जुलाई, 1947 को मुचलम, बसवकल्याण तालुका, ज़ि‍ला बीदर, कर्नाटक में हुआ।

आपने एम.ए. हिन्दी और कन्नड़ से किया और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वर्षों गुलबर्गा विश्वविद्यालय में अध्यापन। फ़िलहाल सेवानिवृत्त।

आपकी कन्नड़ और हिन्दी में कविता, विमर्श, कन्नड़ वचन साहित्य आदि से सम्बन्धित दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित। पंजाबी, गुजराती, बांग्ला (हिन्दी द्वारा) और हिन्दी की कई पुस्तकों का कन्नड़ में अनुवाद।

आप ‘महात्मा गांधी हिन्दी पुरस्कार’, ‘कमला गोयनका अनुवाद पुरस्कार’, ‘अम्म पुस्तक पुरस्कार’, ‘गौरव पुरस्कार’ आदि पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।

 

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