Vedic Kaal

Author: Irfan Habib
Translator: Kanak
Edition: 2022, Ed 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Vedic Kaal
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‘भारत के लोक इतिहास’ श्रृंखला के इस खंड का विषय 1500 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व के बीच का काल-खंड है जिसके तहत ऋग्वेद और उसके बाद के ग्रन्थों को क्रमशः व्यवस्थित किया गया है और उस युग के भूगोल, प्रव्रजन, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और समाज के साथ-साथ धर्म और दर्शन आदि पहलुओं का अन्वेषण किया गया है। लेखकों की कोशिश रही है कि उक्त आदिग्रन्थों के माध्यम से तत्कालीन जन-जीवन की पुनर्रचना कर आम पाठकों के लिए उसे बोधगम्य बनाया जाए। इस प्रक्रिया में लैंगिक और वर्ग-आधारित सामाजिक विभाजनों को ख़ास तौर पर देखने की कोशिश की गई है।

पुस्तक के एक अध्याय में पुरातात्त्विक साक्ष्यों के आधार पर प्रमुख क्षेत्रीय संस्कृतियों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया गया है। इतिहास में लोहे का आगमन एक महत्त्वपूर्ण घटना है जो इसी युग में सम्पन्न हुई थी, सो उसका वर्णन किंचित् विस्तार से हुआ है। साथ ही जाति व्यवस्था के आरम्भ पर भी इस पुस्तक में अपेक्षित प्रकाश डाला गया है।

मूल ग्रन्थों के उद्धरणों, तार्किक व्याख्याओं और विश्लेषणों, अनेक प्रामाणिक चित्रों और नक़्शों से समृद्ध यह पुस्तक न सिर्फ़ रुचिकर, बल्कि पाठकों को विचारोत्तेजक भी लगेगी। 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2016
Edition Year 2022, Ed 4th
Pages 107p
Translator Kanak
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
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Irfan Habib

Author: Irfan Habib

इरफ़ान हबीब

यशस्वी इतिहासकार। उन्नत इतिहास अध्ययन केन्द्र, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं।

प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित सैकड़ों लेखों के अलावा आप ‘एग्रेरियन सिस्टम ऑफ़ मुग़ल इंडिया’ (1963), संशोधित संस्करण : 1999; ‘एन एटलस ऑफ़ द मुग़ल इंपायर’ (1982); ‘एस्सेज़ इन इंडियन हिस्ट्री’; ‘टुवर्ड्स ए मार्कि्सस्ट परसेप्शन’ (1995) तथा ‘मेडिवल इंडिया : द स्टडी ऑफ़ ए सिविलाइजेशन’ (2001) के लेखक हैं। आप ‘कैम्ब्रिज इकॉनोमिक हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया’—खंड-I (1982); ‘यूनेस्को की हिस्ट्री ऑफ़ ह्यूमेनिटी’—खंड-IV व V तथा ‘हिस्ट्री ऑफ़ सेंट्रल एशिया’—खंड-V के सह-सम्पादक भी हैं।

‘भारत का लोक इतिहास’ (People’s History of India) शृंखला के प्रधान सम्पादक, जिसके तहत आपने पाँच पुस्तकों का लेखन व दो पुस्तकों में सहलेखन किया है।

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