Upniveshvad Ka Samana

Author: Irfan Habib
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Upniveshvad Ka Samana

‘उपनिवेशवाद का सामना’ लेखों का एक संकलन है जिसे प्रोफ़ेसर इरफ़ान हबीब ने सम्पादित किया है, जिसके लिए उन्होंने विशेष रूप से एक भूमिका भी लिखी है। यह संकलन 1798 में अंग्रेज़ी फ़ौजों से लड़ते हुए टीपू सुलतान की शहादत की दूसरी शताब्दी पर सुलतान को दी गई एक श्रद्धांजलि है। हैदर अली और टीपू सुलतान के शासनकाल में मैसूर के इतिहास पर लिखे गए इन लेखों में वे लेख शामिल हैं जो 1935 में सामान्यत: भारतीय इतिहास कांग्रेस के वार्षिक सत्रों में प्रस्तुत किए गए थे : कुछ लेख ऐसे भी हैं जो विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। ये लेख उन दो शासकों की स्मृति को सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं जो उपनिवेशी शासन के घोर विरोधी थे। ये लेख हमें याद दिलाते हैं कि हमारे राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने हमारे अतीत को जिस तरह से समझा था उसमें हैदर अली और टीपू सुलतान को सम्मान का स्थान प्राप्त है। इन सुलतानों के योगदान को महत्त्वहीन बतानेवाली एक समकालीन प्रवृत्ति के विरोध में ये लेख विशेष रूप से प्रासंगिक दिखाई पड़ते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 244p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Irfan Habib

Author: Irfan Habib

इरफ़ान हबीब

यशस्वी इतिहासकार। उन्नत इतिहास अध्ययन केन्द्र, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं।

प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित सैकड़ों लेखों के अलावा आप ‘एग्रेरियन सिस्टम ऑफ़ मुग़ल इंडिया’ (1963), संशोधित संस्करण : 1999; ‘एन एटलस ऑफ़ द मुग़ल इंपायर’ (1982); ‘एस्सेज़ इन इंडियन हिस्ट्री’; ‘टुवर्ड्स ए मार्कि्सस्ट परसेप्शन’ (1995) तथा ‘मेडिवल इंडिया : द स्टडी ऑफ़ ए सिविलाइजेशन’ (2001) के लेखक हैं। आप ‘कैम्ब्रिज इकॉनोमिक हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया’—खंड-I (1982); ‘यूनेस्को की हिस्ट्री ऑफ़ ह्यूमेनिटी’—खंड-IV व V तथा ‘हिस्ट्री ऑफ़ सेंट्रल एशिया’—खंड-V के सह-सम्पादक भी हैं।

‘भारत का लोक इतिहास’ (People’s History of India) शृंखला के प्रधान सम्पादक, जिसके तहत आपने पाँच पुस्तकों का लेखन व दो पुस्तकों में सहलेखन किया है।

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