Upshirshak

Author: Kumar Ambuj
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Upshirshak
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कुमार अम्बुज की ये कविताएँ अभूतपूर्व गहराई के साथ इस महाद्वीप के संकटग्रस्त, दुरभिसन्धि-युक्त जीवन और इसमें जी रहे मनुष्य की मुकम्मल अभिव्यक्तियाँ हैं। जो चीज़ें ओट और अँधेरे में रखी जा रही हैं, उन्हें प्रकाशित करते हुए ये उनकी अचूक पहचान करती हैं। उन सत्ता-शक्ति संरचनाओं और प्रविधियों को भी स्पष्टता से उजागर करती हैं जो नागरिकों को नयी दासता, असहिष्णुता और अमानुषिकता में धकेलने की कोशिश कर रही हैं।

इनमें दैनिक जीवन से उपजा, समकालीन यथार्थ में दूर तक पैठनेवाला एक नया, बहुआयामी शब्द-संसार दिखाई देगा। यहाँ सामाजिक-राजनीतिक चेतना और ऐतिहासिक समझ के साथ एक भविष्य-दृष्टि लगातार सक्रिय है। ये अपनी प्रखर काव्यात्मकता क़ायम रखते हुए, दख़ल और प्रतिरोध की जुझारू ज़मीन तैयार करने का साहस दिखाती हैं। प्राकृतिक और राजनीतिक आपदाओं का फ़र्क़ रेखांकित करती हैं। इनमें लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्रता के पक्ष में एक अथक, असमाप्त जिरह है।

इनमें वंचितजन की हताशा, जिजीविषा और उनके कारणों की अनवरत पड़ताल है। यहाँ रागात्मक, पारिवारिक सम्बन्धों, प्रेम, विस्थापन, अकेलेपन और अस्मिता की मार्मिक कविताओं में भी सभ्यता की अन्वेषी समीक्षा निहित है। अपने दृष्टिसम्पन्न शिल्प से ये, कविता की लिजलिजी, रूमानी और रूढ़ पदावलियों की परिधि तोड़ देती हैं। स्मृति, मृत्यु, संत्रास, न्याय, आशा और अस्तित्व के प्रश्नों को ये किसी विस्मयकारी अलौकिकता से नहीं बल्कि अविस्मरणीय लौकिक ढंग से सम्बोधित करती हैं।

व्यापक आशयों की इन रचनाओं से गुज़रते हुए समाज एवं मनुष्यता के प्रति असीम चिन्ता और लगाव का आवेग महसूस किया जा सकता है और यही इन कविताओं का आख्यान और इनका वास्तविक उपशीर्षक भी है। अर्थगर्भी भाषा का यह आत्मानुशासन बहुआयामी नैतिकता, बौद्धिकता और प्रतिबद्धता से उपजता है। 

सहधर्मी कलाओं से संवादरत और विषय-वैविध्य से भरी ये कविताएँ हमारे समय में ‘विडम्बना के नए वृत्तांत’ तथा ‘विचारधारा के सर्जनात्मक उपयोग’ का भी उदाहरण हैं। ये कविता की नई ताक़त, अनन्यता और प्रौढ़ता का सबूत हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 1.5
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Kumar Ambuj

Author: Kumar Ambuj

कुमार अम्बुज

जन्म : 13 अप्रैल 1957, ग्राम मँगवार, ज़िला गुना, सम्प्रति निवास-भोपाल (मध्य प्रदेश)। वनस्पति शास्त्र में स्नातकोत्तर। कानून की डिग्री।

प्रकाशित कृतियाँ : अन्य कविता संग्रह : ‘किवाड़’ (1992), ‘क्रूरता’ (1996), ‘अनंतिम’ (1998), ‘अतिक्रमण’ (2002), ‘अमीरी रेखा’ (2011), कविताओं का चयन ‘कवि ने कहा’ (2012)। राजकमल प्रकाशन से ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2014)। कहानी संग्रह : ‘इच्छाएँ’ (2008)। डायरी और अन्य गद्य की किताब ‘थलचर’ (2016)। वैचारिक आलेखों की पुस्तक ‘मनुष्य का अवकाश’।

'वसुधा' कवितांक-1994 का सम्पादन। गुजरात दंगों पर केन्द्रित पुस्तक क्या हमें चुप रहना चाहिए (2002) का नियोजन एवं सम्पादन। 

हिन्दी कविता के प्रतिनिधि संकलनों एवं कुछ पाठ्यक्रमों में रचनाएँ शामिल। साहित्य की शीर्ष संस्थाओं में काव्यपाठ, बातचीत तथा व्याख्यान। कविताओं के कुछ भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुवाद, संकलनों में कविताएँ चयनित। कवि द्वारा भी कुछ चर्चित कवियों की कविताओं के अनुवाद प्रकाशित। 

इधर अपनी प्रिय फ़िल्मों पर नए पाठ के साथ लेखन।

कविता के लिए ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ (1988), ‘माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार’ (1992), ‘वागीश्वरी पुरस्कार’ (1997), ‘श्रीकांत वर्मा सम्मान’ (1998), ‘गिरिजा कुमार माथुर सम्मान’ (1998), ‘केदार सम्मान’ (2000)। 

ईमेल : kumarambujbpl@gmail.com

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